उत्‍तराखंड

घाटों पर छाई रौनक: डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य, कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ महापर्व का होगा समापन

छठ महापर्व
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आज देश में छठ महापर्व की धूम रही. आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. बिहार, बंगाल, नेपाल, मुंबई, दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत दुनिया के तमाम हिस्सों में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. घाटों पर अर्घ्य देने के बाद छठव्रती घर लौटने लगे हैं. सोशल मीडिया पर भी यह महापर्व खूब ट्रेंड हुआ.

सूर्य का अर्घ्य देने के लिए पटना, गोरखपुर, लखनऊ और प्रयागराज आदि शहरों के घाटों पर खूब रौनक रही. गुरुवार 11 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन हो जाएगा. इन दोनों ही दिनों में सूर्यदेव की पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है. बता दें कि छठ इकलौता ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते और उगते सूर्य की पूजा की जाती है. आज शाम सूर्यास्त के मौके पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया.

छठ सूर्य की उपासना का महापर्व है. सूर्यास्त और सूर्योदय दोनों रूप की पूजा इसमें की जाती है. इस दिन सुहागिनें छठी मइया की पूजा करती हैं. पुरुष भी छठ का व्रत रखते हैं. महिलाएं छठी मइया से संतान के लिए मंगल कामना करती हैं. यह उत्सव 4 दिन चलता है.

व्रती लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं. लोक आस्था का महापर्व छठ, जो प्रकृति पूजा का एक महान पर्व है अब वह सिर्फ लोकल ही नहीं रह गया गया बल्कि कई देशों में मनाया जाने वाला पर्व बन गया है.

आमतौर पर छठ महापर्व बिहार में मनाया जाने वाला चार दिवसीय पर्व है लेकिन अब यह बिहार का न रह कर देश के कई राज्यों में मनाया जाने लगा है. नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस महापर्व की कई धार्मिक मान्यताएं हैं.

इसकी शुरुआत महाभारत काल से ही हो गई थी. पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे तब द्रौपदी ने चार दिनों के इस व्रत को किया था. इस महापर्व को लेकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड की राज्य सरकारों ने आज सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया था.

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