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विशेष स्टोरी: अपने राज्य की सियासत में जाने के लिए बेकरार हरीश रावत अमरिंदर-सिद्धू की ‘कलह’ में फंसे

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दो नेताओं के बीच काफी समय से जारी वर्चस्व की सियासी जंग में तीसरे नेताजी बुरी तरह फंसकर रह गए हैं. कई कोशिशें करने के बाद भी अब इन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि इन दोनों नेताओं के बीच सुलह कैसे कराएं ? जबकि अपने राज्य की सियासत में लौटने के लिए इन्होंने अपना ‘बैग’ भी तैयार कर लिया है.

लेकिन अभी कुछ दिनों तक इन्हें और इंतजार करना पड़ सकता है. आज हम पूर्व सीएम और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव की बात करेंगे जो पिछले काफी समय से अपने गृह राज्य की राजनीति को संभालने के लिए आलाकमान से कई बार गुहार लगा चुके हैं. लेकिन हाईकमान ने इनको दूसरे राज्य का मामला सुलझाने के लिए लगा रखा है. हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत की. ‌

बता दें कि ‘पंजाब में सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के नेता नवजोत सिद्दू का मनमुटाव ही हरीश रावत को उत्तराखंड आने नहीं दे रहा है’. गुरुवार को कांग्रेस आलाकमान से मिलने के बाद खबरें आई थी कि कैप्टन और सिद्धू का चला आ रहा विवाद अब खत्म हो चुका है.

ऐसी भी चर्चा थी कि पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू के लिए राज्य में कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष और कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए सीएम पद पर बने रहने की सहमति बन गई है, बयान दिया था.

उसके बाद ‘सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब पार्टी का संभावित प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कड़ा विरोध जताने पर हरीश रावत ने सफाई दी कि मैंने ऐसा नहीं कहा था’. ‌इसके बाद सिद्धू और कैप्टन के बीच एक बार फिर से थमता दिख रहा टकराव और ‘तेज’ हो गया.

रावत के इस बयान के बाद दोनों के बीच सुलह होने की उम्मीद थी, लेकिन इससे बात और बिगड़ गई. बताया गया कि इस बात से कैप्टन अमरिंदर सिंह नाराज हो गए हैं. इसके बाद शुक्रवार देर शाम हरीश रावत कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे.

यहां उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा नहीं कहा कि सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष होंगे. मुझसे एक सवाल पूछा गया था जिसके जवाब में मैंने कहा था कि कई संभावनाएं हैं, जिसमें से एक ये भी है.

हरीश रावत के बयान के बाद से ही बैठकों का दौर भी शुरू हो गया. पहले सिद्धू ने अपने करीबियों की एक बैठक बुलाई. इसके बाद अमरिंदर सिंह ने भी अपने विधायकों और सांसदों की एक आपात मीटिंग की . उसके बाद दोनों के बीच ‘कलह’ और खुलकर सामने आ गई. ‌

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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