जम्मू में एक आदेश के बाद ये साफ हो गया है कि यहां बाहरी लोग भी आने वाले चुनाव में वोट डाल सकेंगे. यह आदेश जम्मू के उपायुक्त कार्यालय से जारी किए हैं. इस आदेश के बाद से जम्मू की राजनीति में हंगामा मच गया है और विपक्षी पार्टियां इस फैसले का विरोध कर रही हैं.
जम्मू प्रशासन ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर तहसीलदारों या राजस्व अधिकारियों को जम्मू में एक साल से अधिक की अवधि से रहने वाले लोगों को निवास का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किया है. इसका प्रयोग नए वोटर के रूप में रजिस्टर करने में किया जाएगा. केंद्र शासित प्रदेश में नए मतदाताओं के पंजीकरण, विलोपन और सुधार के लिए मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन कार्यक्रम शुरू किया गया है.
जम्मू के जिला चुनाव अधिकारी और उपायुक्त ने यह आदेश जारी करते हुए कहा- “…मामले की तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जिला जम्मू में विशेष सारांश संशोधन, 2022 के दौरान पंजीकरण के लिए कोई पात्र मतदाता नहीं छुटा है, सभी तहसीलदार को आवश्यक सत्यापन करने के बाद निवास का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किया जाता है.”जम्मू में यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब इस मुद्दे पर भाजपा को छोड़कर लगभग सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर सहमत नहीं हैं और इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं.
इन पार्टियों का विरोध तभी शुरू हो गया था, जब तत्कालीन मुख्य चुनाव अधिकारी हिरदेश कुमार ने अगस्त में कहा था कि मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन के बाद जम्मू-कश्मीर वोटर लिस्ट में लगभग 25 लाख अतिरिक्त मतदाता के जुड़ने की संभावना है. उनके इस बयान के बाद से विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमलवार हो गई है.
इस फैसले के बाद नेशनल कांफ्रेंस ने ट्वीट कर कहा- “सरकार जम्मू-कश्मीर में 25 लाख गैर-स्थानीय मतदाताओं को जोड़ने की अपनी योजना पर आगे बढ़ रही है और हम इस कदम का विरोध करना जारी रखेंगे. बीजेपी चुनाव से डरी हुई है और जानती है कि वह बुरी तरह हारेगी. जम्मू-कश्मीर के लोगों को इन साजिशों को बैलेट बॉक्स में हराना होगा.”