आज बात होगी देश की राजधानी दिल्ली की, जहां प्रदुषण एक बड़ी समस्या है. जिससे निपटने के वर्तमान की केजरीवाल सरकार ने कई योजनाएं बनाई है. सरकार इन योजनाओं पर काम भी कर रही है. वहीं, वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार बड़ी योजना पर भी काम कर रही है.
दिल्ली सरकार ने 1 साल पहले इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को लागू किया था जिसका सरकार को एक अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. सरकार का लक्ष्य है कि 2024 तक 25 फीसदी वाहनों को ईवी पॉलिसी के तहत दिल्ली की सड़कों पर उतारा जाए.
इस बीच देखा जाए तो दिल्ली सरकार की ओर से पिछले साल 2020 में दिल्ली ईवी फोरम की स्थापना दिल्ली संवाद एवं विकास आयोग (DDC) की ओर से दिल्ली ईवी पॉलिसी के सफल कार्यान्वयन के लिए की गई थी.
दिल्ली सरकार अपने सार्वजनिक परिवहन का भी इलेक्ट्रिक व्हीकल मेकओवर करने जा रही है. इसके चलते दिल्ली में आने वाले कुछ महीनों में 5,000 इलेक्ट्रिक ऑटो और 300 इलेक्ट्रिक बसें शुरू की जाएगी. इसके अलावा, राजधानी में आवश्यक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए समझौता ज्ञापनों पर तेजी से काम किया जा रहा है.
इस नीति का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के साथ-साथ चार्जिंग के लिए उचित बुनियादी ढांचा तैयार करना है.
ईवी पॉलिसी पर दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि ईवी हमारा भविष्य है और हमें अपने पर्यावरण और समाज की सुरक्षा के लिए उस भविष्य की दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के अभियान और जागरूकता के पहलुओं को जोरदार तरीके से चलाना चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं में इसके प्रति विश्वास पैदा किया जा सके, जिससे इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की मांग में वृद्धि हो.
मंत्री का कहना है कि दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है, हम ऑफ-पीक घंटों में ईवी चार्जिंग के लिए प्रोत्साहन देने पर विचार करेंगे, जिससे ग्रिड स्थिरीकरण में मदद मिलेगी और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को भी बढ़ावा देगा.