आज बात होगी आम आदमी पार्टी की. इस पार्टी के नेता अपनी पार्टी की ‘ब्रांडिंग’ करने के लिए अपने आप को सबसे बेहतर समझते हैं. ‘कोई भी चुनाव हो, उससे पहले ही आम आदमी पार्टी अपने प्रचार-प्रसार का जनता के बीच जाकर ऐसा ताना-बाना बुनते हैं जैसे कि वह भारत की राजनीति में नया प्रयोग करने के लिए चुनावी मैदान में उतर रहे हैं’.
हालांकि यह सच है कि आम आदमी पार्टी को देश की राजधानी दिल्ली में पिछले तीन बार हुए विधानसभा चुनावों में जबरदस्त सफलता भी मिली है. दूसरी ओर दिल्ली के बाद पंजाब में पार्टी का थोड़ा बहुत जनाधार दिखाई पड़ता है. अब आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की नजर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सवा साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में आकर टिक गई है.
इसी को लेकर राजधानी से आप नेताओं के दौरे यूपी और उत्तराखंड में ताबड़तोड़ किए जा रहे हैं. लेकिन आज हम पहले बात करेंगे उत्तराखंड की सियासत की. आम आदमी पार्टी के दूसरे नंबर के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया उत्तराखंड में अपनी जमीन तलाशने के लिए एक बार फिर से आज दो दिवसीय दौरे पर पहुंच रहे हैं.
वह हरिद्वार से अपने दौरे की शुरुआत करेंगे और शनिवार को देहरादून में रहेंगे। यहां आपको जानकारी दे दें कि अभी पिछले हफ्ते ही सिसोदिया उत्तराखंड के कुमाऊं के दो दिनी दौरे पर पहुंचे थे. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले आप नेताओं की सक्रियता बढ़ने से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में बेचैनी बढ़ा दी है.
दूसरी ओर मनीष सिसोदिया ने यूपी के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री सतीश द्विवेदी की चुनौती स्वीकार कर ली है, उन्होंने कहा है कि यूपी और दिल्ली के स्कूलों को लेकर खुली बहस के लिए तैयार हूं.
मुझे योगी के मंत्रियों की चुनौतियां कुबूल है और मैं 22 दिसंबर को लखनऊ आ रहा हूं. गौरतलब है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के यूपी के सरकारी स्कूलों पर निशाना साधने पर सतीश द्विवेदी ने उन्हें और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को चुनौती दी थी.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार