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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने छुए 1971 युद्ध के दिग्गज की पत्नी के पैर, कहा- सौगंध इस मिट्टी की, देश झुकने नहीं देंगे

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फोटो साभार ANI

नई दिल्ली| मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 के युद्ध के एक दिग्गज की पत्नी के पैर छुए. रक्षा मंत्री ने नई दिल्ली में स्वर्णिम विजय पर्व समापन समारोह में कर्नल होशियार सिंह की पत्नी से मुलाकात की और उनके पैर छुए.

इस समारोह का आयोजन 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ से पहले आयोजित किया गया. गौर हो कि कर्नल होशियार सिंह को 1971 के युद्ध के दौरान अनुकरणीय साहस का प्रदर्शन करने के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था, जिसके कारण बांग्लादेश की मुक्ति हुई, जिसे उस समय पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था.

इस कार्यक्रम में बोलते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि 1971 का युद्ध न्याय के लिए युद्ध था, जिसके कारण एक नए राष्ट्र-बांग्लादेश का जन्म हुआ. वैसे तो भारत और बांग्लादेश दो अलग-अलग देश हैं, पर वास्तव में दोनों की समान संस्कृतियां और भाषाएं रही हैं, साथ ही 1971 के युद्ध में दोनों देशों के वैटरन्स और ‘मुक्तियोद्धाओं’ का उद्देश्य भी बिलकुल समान रहा है.

उन्होंने कहा कि आइए, हम यह प्रण लें कि हम युवा भी राष्ट्र और समाज की सेवा में अपनी पूर्ण क्षमता और तपस्या से कार्य करें, ताकि आज से 50 साल बाद के लोग आप की कहानी को दोहराने का संकल्प लें. यह एक बड़ी जिम्मेदारी है, और मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि आप सभी इस कार्य में सफल होंगे.

उन्होंने कहा कि सौगंध हमें इस मिट्टी की, हम देश नहीं झुकने देंगे! आज दिल्ली में विजय पर्व के समापन समारोह में देश के विभिन्न इलाकों से लाई गई मिट्टी के मिश्रण को माथे से लगाया. देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखना हम सभी भारतीयों की जिम्मेदारी है.

आज जिन दिग्गज को हम सब मिलकर कृतज्ञतापूर्ण सम्मान दे रहे हैं, उन्होंने अपनी युवावस्था में धर्म, समाज, और राष्ट्र में अपने व्यक्तिगत हित से ऊपर उठकर समाज और राष्ट्र के लिए बहुत कुछ बलिदान किया है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि 1971 के युद्ध का उद्देश्य था आम नागरिकों के प्रति अत्याचार और मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ आम लोगों की प्रतिबद्धता. यह युद्ध एक न्याय युद्ध था, जिसके कारण एक नए राष्ट्र ‘बांग्लादेश’ का जन्म हुआ. यह युद्ध, मानवता के प्रति भारत के कमिटमेंट को दर्शाने वाला युद्ध था.

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