नई दिल्ली| भारत में बिकने वाले कई प्रमुख ब्रांड के शहद में चीनी शरबत की मिलावट पाई गई है, पर्यावरण नियामक सीएसई (CSE) ने बुधवार को जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है.
सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के खाद्य शोधकर्ताओं ने भारत में बिकने वाले प्रसंस्कृत और कच्चे शहद की शुद्धता की जांच करने के लिए 13 छोटे बड़े ब्रांड का चयन किया. इसने पाया कि 77 प्रतिशत नमूनों में चीनी शरबत की मिलावट थी. जांच किए गए 22 नमूनों में से केवल 5 सभी परीक्षण में सफल हुए.
अध्ययन में कहा गया है कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे प्रमुख ब्रांड के शहद के नमूने एनएमआर (न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस) परीक्षण में विफल रहे.
इस का जवाब देते हुए, इमामी (झंडू) के प्रवक्ता ने कहा कि एक जिम्मेदार संगठन के रूप में इमामी सुनिश्चित करता है कि उसका झंडू शुद्ध शहद भारत सरकार और उसके प्राधिकरण एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित सभी नियम-शर्तों और गुणवत्ता मानदंडों / मानकों के अनुरूप हो और उनका पालन करे.
डाबर ने भी दावे का खंडन करते हुए कहा कि हालिया रिपोर्ट ‘दुर्भावना और हमारे ब्रांड की छवि खराब करने के उद्देश्य से प्रेरित’ लगती है. उसने कहा है कि डाबर, शहद के परीक्षण के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा अनिवार्य सभी 22 मानदंडों का अनुपालन करती है.
डाबर ने कहा कि इसके अलावा, एफएसएसएआई द्वारा अनिवार्य रूप से एंटीबायोटिक दवाओं की उपस्थिति के लिए डाबर शहद का भी परीक्षण किया जाता है. डाबर भारत में एकमात्र कंपनी है, जिसके पास अपनी प्रयोगशाला में एनएमआर परीक्षण उपकरण है, और उसी का उपयोग नियमित रूप से शहद का परीक्षण करने के लिए किया जाता है और भारतीय बाजार में बेचा जा रहा है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि डाबर शहद 100 फीसदी शुद्ध हो.
इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए पतंजलि आयुर्वेद के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने पीटीआई से कहा कि हम केवल प्राकृतिक शहद का निर्माण करते हैं, जिसे खाद्य नियामक एफएसएसएआई द्वारा अनुमोदित किया जाता है. हमारा उत्पाद एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट देश के प्राकृतिक शहद उत्पादकों को बदनाम करने की साजिश है.