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वैक्सीन डिप्लोमेसी से एशिया में बढ़ा भारत का रुतबा, चीन-पाकिस्तान के माथे पर आया बल

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सांकेतिक फोटो

कोरोना महामारी से लड़ने के लिए भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी ने चीन और पाकिस्तान के माथे पर बल ला दिया है. दक्षिण एशिया में भारत की इस पहल की अमेरिका और विश्व स्वास्थ्य संगठन तक ने तारीफ की है.

भारत बीते कुछ दिन में अपने यहां बने कोविड-19 टीकों की खेप भूटान, मालदीव, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, मॉरीशस और सेशेल्स को मदद के रूप में भेज चुका है. सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और मोरक्को को ये टीके व्यावसायिक आपूर्ति के रूप में भेजे जा रहे हैं.

पिछले कुछ समय तक नेपाल से भारत के रिश्ते कुछ तल्ख हो गए थे लेकिन समय और कोरोना वैक्सीन के जरिए नई दिल्ली इस देश के साथ अपने रिश्ते और मजबूत कर लिए. एशिया में भारत के बढ़ते प्रभुत्व से ड्रैगन बौखला गया है. दरअसल, चीन की विस्तारवादी नीतियों से आजिज आकर उसके कई पड़ोसी भारत की तरफ देख रहे हैं.

भारत ने कोरोना काल में भूटान, नेपाल से लेकर कई देशों की पूरी मदद की. भारत ने नेपाल, बांग्लादेश और भूटान में कोरोना वैक्सीन की खेप भेज दी है. वहीं, अफगानिस्तान को भी खेप देने की तैयारी है. पाकिस्तान ने भी कोविशील्ड के इस्तेमाल की मंजूरी तो दे दी है लेकिन अभी वहां वैक्सीन भेजने पर कोई फैसला नहीं किया गया है.

कोरोना महामारी चीन के हुबेई प्रांत के वुहान से पूरी दुनिया में फैली थी. हालांकि, चीन ने इस बीमारी पर काबू पाने का दावा तो किया है लेकिन दुनिया अभी भी उसे शक की निगाह से देख रही है. चीन ने कुछ समय पहले दावा किया था कि उसने कोरोना की वैक्सीन बना ली है. पर हकीकत ये है कि अभीतक उसकी वैक्सीन को तो नेपाल ने मंजूरी ही नहीं दी है. दूसरी तरफ भारत के वैक्सीन भेजने का नेपाल स्वागत कर चुका है. उधर बांग्लादेश और चीन के बीच वैक्सीन सप्लाई को लेकर गतिरोध है.

घनघोर आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान की स्थिति तो बेहद बुरी है. कर्ज में डूबे पाकिस्तान को चीन ने महज 5 लाख कोरोना वैक्सीन भेजी है. कोविशील्ड लगाने को उसने मंजूरी तो दे दी है लेकिन अभी इस वैक्सीन की सप्लाई उसे नहीं की गई है. पाकिस्तान में जिस तरह के आर्थिक हालात हैं उसमें उसके सदाबहार दोस्त चीन की मदद नहीं करना चौंका रहा है.


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