बिहार विधानसभा प्रचार के दौरान कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है बल्कि इसमें बड़े नेता भी शामिल हैं. यहां कोरोना की स्थिति पहले से ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि यहां बड़ी संख्या में मरीज पाए गए हैं.
निर्वाचन आयोग ने चुनाव के लिए कई एहतियात और गाइडलाइंस का एलान किया था लेकिन रैलियों में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है.चुनावी जनसभाओं में लोग जुट रहे हैं लेकिन न तो दो गज की दूरी का पालन किया जा रहा है और न ही लोग मास्क में देखे जा रहे हैं.
कोविड प्रोटोकॉल में थर्मल स्कैनिंग करने का आदेश है लेकिन भीड़ नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं.जिला प्रशासन को आदेश है कि रैलियों में कोरोना की गाइडलाइंस का पालन कराया जाए लेकिन भीड़ की जैसी तस्वीरें आ रही हैं, उससे साफ है कि नियमों को ताक पर रख कर रैलियां और जनसभाएं हो रही हैं.
मतदान के दौरान मास्क, ग्लव्स और थर्मल स्कैनर के इंतजाम किए हैं.पोलिंग बूथ को सैनिटाइज करने का भी आदेश है.अब देखने वाली बात होगी कि बिहार चुनाव में इसका पालन कितनी कड़ाई से होता है.यहां आपको बता दें कि बिहार में पहले चरण का चुनाव 28 अक्टूबर को होना है.
कोरोना से मंत्रियों की मौत के बाद भी बिहार में नहीं हो रहा असर
कई पार्टियों के बड़े-बड़े नेता कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. यही नहीं बिहार सरकार के पिछड़ा कल्याण वर्ग के मंत्री विनोद कुमार और पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत की मौत के साथ प्रचार के दौरान कोरोना गाइडलाइन के अनुपालन की बहस भले तेज हो गई, लेकिन नेताओं पर इसका असर नहीं पड़ा.
रैलियों और जनसभाओं में समर्थकों की भारी भीड़ देखी जा रही है.नेता भी चुनाव प्रचार में खुद को झोंकने से नहीं हिचकते. बता दें कि राजीव प्रताप रूडी, शाहनवाज हुसैन, बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के बाद अब महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस भी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं.
बीते कुछ दिनों में हुई कई चुनावी सभाओं में कोविड गाइडलाइन और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती दिखी हैं. छोटे-बड़े सभी नेता अपने इन बेलगाम समर्थकों से भरी रैलियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी साझा कर रहे हैं.
लेकिन निर्वाचन आयोग किसी भी पार्टियों के नेताओं को एक शब्द भी बोलने का साहस नहीं कर पा रहा है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार