शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर प्रशांत किशोर के साथ बैठक बुलाई गई. करीब 3 घंटे चली इस बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव तक कैसे कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़े इसको लेकर एक प्रेजेंटेशन दिया.
बैठक में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कुछ अन्य नेता उपस्थित थे. कांग्रेस पार्टी की करीब 4 घंटे तक चली बैठक में प्रशांत किशोर ने नेताओं के सामने एक प्रेजेंटेशन दिया है.
केसी वेणुगोपाल ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा, “प्रशांत किशोर ने सोनिया गांधी के सामने 2024 की चुनावी रणनीति पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी है. उनके द्वारा प्रस्तुत योजना को कांग्रेस प्रमुख द्वारा स्थापित एक समूह द्वारा देखा जाएगा और समूह अंतिम निर्णय के लिए पार्टी प्रमुख को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.” गौर करने वाली बात यह है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों की पृष्ठभूमि में यह बैठक हुई है.
यह बैठक इस साल गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की चुनावी तैयारियों की पृष्ठभूमि में भी हो रही है. पांच राज्यों में हालिया चुनावी हार के बाद कांग्रेस फिर से प्रशांत किशोर के साथ बातचीत शुरू करने की कोशिश कर रही है. पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए एक झटके के रूप में आए, जो 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी संभावनाओं को पुनर्जीवित करने और देश में भाजपा विरोधी राजनीति की धुरी के तौर पर आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस से उभरती चुनौतियों को बदलने के लिए अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही थी.
सूत्रों ने बताया कि बैठक में कांग्रेस के प्रस्तावित ‘चिंतन शिवर’, आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों, सदस्यता अभियान और कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पिछले कई हफ्तों से पार्टी नेतृत्व और किशोर के बीच मुख्य रूप से गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर बातचीत चल रही है. पार्टी गुजरात के एक जानेमाने पाटीदार चेहरा नरेश पटेल को भी साथ लेने का प्रयास कर रही है.
एक वरिष्ठ कांग्रेस अधिकारी ने कहा, “पीके (प्रशांत किशोर) को कांग्रेस में शामिल होने के बजाय एक सलाहकार की भूमिका निभाते हुए देखा जा सकता है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की राज्य विधानसभा चुनावों में जीत के बाद प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के बीच बातचीत विफल हो गई थी, इस चुनाव में पीके ने तृणमूल के लिए रणनीतिकार की भूमिका निभाई थी.”