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आसान नहीं होगी सोनिया की अगुवाई में कांग्रेस की राह, सामने है ये चुनौतियां

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सोनिया -राहुल गांधी

शनिवार को (16अक्टूबर ) सोनिया गांधी ने हुई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बेहद अहम बैठक में इस बात पर खासा जोर दिया कि पार्टी की “पूर्णकालिक और व्यावहारिक कांग्रेस अध्यक्ष” वही हैं.

दरअसल, उनका यह बयान जी23 के उन नेताओं को एक स्पष्ट संदेश है, जो पार्टी में नेतृत्व की कमी और एक निर्वाचित पार्टी प्रमुख की अनुपस्थिति से संबंधित मुद्दों को बार-बार उठाते रहे हैं.

पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय में अपने संबोधन के दौरान सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी का पुनरुद्धार केवल “एकता, आत्म-नियंत्रण, अनुशासन और पार्टी के हितों को सर्वोपरि रखने से” ही हो सकता है.

बैठक में उस समय एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आता है जब पार्टी के संगठनात्मक चुनावों को लेकर चर्चा होती है और कहा जाता है कि पार्टी के लिए एक पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा.

हालांकि सोनिया गांधी ने दोहराया कि वह “एक पूर्णकालिक कांग्रेस अध्यक्ष हैं”, लेकिन उनका यह बयान पार्टी के कुछ नेताओं को रास नहीं आया क्योंकि कई लोग इस पुरानी पार्टी के संगठन में पूरी तरह से बदलाव चाहते हैं.

वर्तमान में, सोनिया गांधी को पार्टी के भीतर और बाहर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इनमें ये 5 मुद्दे बेहद खास हैं:

जी-23 और संगठनात्मक चुनाव
अपने बयानों और पत्रों में पिछले विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन का हवाला देते हुए ‘जी-23’ की लंबे समय से मांग है कि पार्टी के ढांचे के भीतर एक संरचनात्मक बदलाव हो. जी-23 नेताओं में गुलाम नबी आजाद, शशि थरूर, मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल और अन्य शामिल हैं.

हाल ही में कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था, “हमारी पार्टी में इस समय कोई अध्यक्ष नहीं है, इसलिए हम नहीं जानते कि ये निर्णय कौन ले रहा है. हम जानकर भी नहीं जानते हैं.” इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सिब्बल के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था.

तमाम मुद्दों पर चर्चा के लिए जी-23 नेताओं ने बार-बार पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाने को कहा. पार्टी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव 21 अगस्त से 20 सितंबर 2022 के बीच होगा. सूत्रों ने न्यूज़18 को बताया कि राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया है कि वह फिर से पद संभालने की उनकी मांग पर विचार करेंगे.

लोकसभा चुनाव 2024
जबकि सोनिया गांधी को पार्टी के भीतर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और संगठनात्मक चुनाव भी होने हैं, ऐसे में उनके और पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती आगामी लोकसभा चुनाव होंगे. इस अक्टूबर में पीएम मोदी ने बिना ब्रेक के सार्वजनिक कार्यालय में अपने 20 साल पूरे किए. उनकी लोकप्रियता में कमी के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और पंजाब में आगामी विधानसभा चुनावों के साथ पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है. अगला लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक कठिन चुनौती होगी क्योंकि वह केंद्र में लगातार दो बार सत्ता से ना सिर्फ बाहर रही, बल्कि कई राज्यों में अपनी पकड़ खो रही है.

उभरती टीएमसी और अन्य पार्टियां
हालांकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता के लिए गांधी परिवार की ओर रुख किया है, लेकिन उन्होंने कांग्रेस को भी किनारे कर रखा है. वास्तव में देखा जाए, तो टीएमसी कांग्रेस द्वारा बनाए गए शून्य को भरने की कोशिश कर रही है. गोवा और मेघालय में तृणूमल के विस्तार को इसी संदर्भ में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है.

हाल ही में कांग्रेस नेता सुष्मिता देव टीएमसी में शामिल हुईं. गोवा में पार्टी नेताओं और मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के भी टीएमसी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं. कभी सहयोगी रही टीएमसी अब गोवा में भी चुनाव लड़ेगी, जहां कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी थी. दूसरी ओर बंगाल में, जहां कांग्रेस एक मुख्य विपक्षी पार्टी थी, इस साल हुए विधानसभा चुनाव में शून्य पर खिसक गई है. पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस को आप से टक्कर मिलने की उम्मीद है जो राज्य में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की कोशिश करेगी.

वंशवाद की राजनीति
कांग्रेस पर लंबे समय से वंशवाद की राजनीति को लेकर भाजपा और अन्य दलों ने निशाना साधा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी से पार्टी की कमान संभाली थी. उन्होंने 2019 के आम चुनाव के बाद कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. तब से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं. हालांकि, पार्टी में वंशवाद की राजनीति को लेकर राजनीतिक दल लंबे समय से इस पर हमले कर रहे हैं.

आगामी विधानसभा चुनाव
उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए लिटमस टेस्ट होंगे क्योंकि पार्टी ने इस संबंध में कुछ कदम उठाए हैं. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को खड़ा किया है, जिन्होंने हाल ही में लखीमपुर हिंसा मामले में पार्टी का नेतृत्व किया था. प्रियंका गांधी हाथरस सामूहिक बलात्कार आंदोलन के दौरान भी सक्रिय थीं और वह वर्तमान में राज्य में किसानों के समर्थन में रैलियों का भी नेतृत्व कर रही हैं.

कांग्रेस ने पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाते हुए एक बड़ा बदलाव किया. चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने के इस कदम को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की योजना के रूप में देखा जा रहा है.

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