2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी से तैयारी करनी शुरू कर दी है. इन चुनाव में जीत की राह देख रही कांग्रेस ने नया फॉर्मूला अपनाने की योजना बनाई है. अब पार्टी इन चुनावों में दलित, महिला और ओबीसी मतदाताओं पर ध्यान देगी.
यह रणनीति दो हफ्ते पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक में बनाई गई. इसमें दलित नेताओं ने भी हिस्सा लिया था, जिनमें पूर्व सांसद उदित राज भी शामिल थे.
राहुल गांधी की ओर से बुलाई गई इस बैठक का एजेंडा यह जानना था कि 2024 लोकसभा चुनावों को दलित वोटर किस तरह से प्रभावित कर सकते हैं. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि चूंकि पार्टी बीजेपी को अमीरों की मददगार पार्टी के रूप में प्रदर्शित करती है, ऐसे में कांग्रेस अब पिछड़े समूह के दल के रूप में काम करेगी.
कांग्रेस का यह फॉर्मूला 2004 पर आधारित है. तब कांग्रेस का नारा था ‘कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ.’ इसके तहत पार्टी गरीबों और पिछड़ा वर्गों के मुद्दों की बात कर रही थी. वहीं बीजेपी के एनडीए का नारा था ‘इंडिया शाइनिंग’. राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं का मानना है कि पार्टी का यह पुराना अभियान फिर काम आएगा.
बैठक में राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं से कहा कि वे ‘कांग्रेस का हाथ, पिछड़ों के साथ’ नारे को आगे बढ़ाएं. इसके साथ ही कांग्रेस का आशा है कि वो दलित और ओबीसी मतदाताओं के जरिये उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में राजनीतिक लाभ पा सकती है.
यह भी माना जा रहा है कि जिन राज्यों में भी संभव होगा कांग्रेस वहां दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाएगी. जैसा कि उसने पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को बनाकर किया है.
इसके साथ ही कांग्रेस बीजेपी को भी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने की चुनौती दे रही है. वहीं कांग्रेस उत्तराखंड चुनाव में जीत की संभावना देख रही है. अगर ऐसा होता है तो पार्टी वहां भी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बना सकती है. इसमें यशपाल आर्या का नाम संभावित हो सकता है.
साभार-न्यूज 18