कांग्रेस में पिछले काफी समय से चला आ रहा सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस के 23 नेताओं की ओर से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र को लेकर पार्टी नेता अब दो गुट में बंटते दिख रहे हैं.
खबर है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस से बाहर करने की भी मांग कर डाली है. उन्होंने कहा है कि पार्टी ने आजाद को बहुत कुछ दिया है लेकिन हाल में उनका रवैया पार्टी के खिलाफ जिस तरह का है वह अच्छे संकेत नहीं देता है.
नसीब पठान ने कहा, जब कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में सब कुछ ठीक हो गया था और सोनिया गांधी ने भी इस पूरे विवाद को खत्म करने की बात कह दी थी, उसके बाद भी आजाद ने मीडिया से बात कर पार्टी के खिलाफ बयान दिया. उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद ने जिस तरह से पार्टी का अनुशासन तोड़ा है, उसके बाद उन्हें पार्टी से ‘आजाद’ कर देना चाहिए.
पठान ने कहा कि शायद गुलाम नबी आजाद ये भूल गए हैं कि उन्हें सोनिया गांधी ने जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री पहले बना दिया था बाद में यह उप चुनाव जीते थे. कांग्रेस ने उन्हें इतना कुछ दिया लेकिन आजाद ने पार्टी के साथ वफादारी नहीं की.
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि हमारा इरादा कांग्रेस को सक्रिय और मजबूत बनाने का है. आजाद ने कहा था कि पिछले कई दशकों से पार्टी के अंदर निर्वाचित निकाय नहीं है. उन्होंने कहा कि ये कोशिश 15 साल पहले ही कर ली जानी चाहिए थी. हमारी पार्टी लगातार चुनाव हार रही है.
हमें अगर सत्ता में वापसी करनी है तो हमें आंतरिक चुनाव कराकर अपनी पार्टी को मजबूत करना होगा. आजाद ने कहा कि अगर पार्टी के नेताओं की ओर से लिखा गया पत्र सार्वजनिक हो गया तो इसमें परेशानी की क्या बात है. पार्टी को मजबूत बनाने और चुनाव कराने के लिए कोई स्टेट सीक्रेट नहीं है. उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी जी के समय में भी कैबिनेट की कार्रवाई लीक हो जाती थी.
बता दें कि जिन नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी इनमें पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा और अजय सिंह शामिल हैं.
इनके अलावा सांसद विवेक तन्खा, सीडब्ल्यूसी सदस्य मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भट्ठल, एम वीरप्पा मोइली और पृथ्वीराज चव्हाण ने भी पत्र पर दस्तखत किए हैं.
साभार-न्यूज़ 18