पांच राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका, वरिष्ठ नेता सी.एम. इब्राहिम ने दिया इस्तीफा

बेंगलुरू| पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में करारी हार के अब कांग्रेस को कर्नाटक में बड़ा झटका लगा है.

वहां के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.एम. इब्राहिम ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष का नेता नहीं बनाए जाने से नाखुश चल रहे इब्राहिम ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है.

कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य सी.एम इब्राहिम ने सोनिया को लिखे पत्र में कहा कि पिछले 12 साल में पार्टी की समस्याओं को लेकर मैंने आपको कई पत्र लिखे.

जिनके जवाब में मुझे विश्वास दिलाया गया कि समस्याओं के निदान के लिए आवश्यक उपाय किए जाएंगे. लेकिन अभी तक मुझे कोई बदलाव नहीं दिखा है. इसलिए मैंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता तुरंत प्रभाव से छोड़ने का फैसला किया है.

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के करीबी माने जाने वाले सी.एम. इब्राहिम केंद्र में उनकी सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री भी रहे थे. 2008 में उन्होंने सिद्धारमैया के साथ जेडीएस छोड़कर कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली थी. लेकिन पिछले कुछ समय से वह कांग्रेस और सिद्धारमैया से नाखुश हैं.

उन्हें उम्मीद थी कि कर्नाटक विधान परिषद में खाली हुए नेता विपक्ष के पद पर उन्हें बिठाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पार्टी ने बीके हरिप्रसाद को चुना. कांग्रेस नेता एसआर पाटिल के रिटायर होने के बाद सदन में नेता विपक्ष का पद खाली हुआ था.

इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ने के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था कि मैं सिद्धारमैया की खातिर और उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस से जुड़ा था. लेकिन अब कांग्रेस मेरे लिए बंद अध्याय है.

अब सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में सीएम इब्राहिम ने कर्नाटक विधान परिषद के नेता विपक्ष न बनाए जाने का मुद्दा भी उठाया है. उन्होंने लिखा है कि कर्नाटक विधान परिषद के नेता विपक्ष का चयन करने के लिए अगर चुनाव कराए जाते, या पार्टी के सभी एमएलसी की राय ली जाती तो निश्चित तौर पर मेरा चयन होता. मेरे पक्ष में 18 सदस्य थे. लेकिन पार्टी ने बीके हरि प्रसाद को चुना, जो मुझसे बहुत जूनियर हैं.

इब्राहिम ने आगे लिखा कि जब भी मैंने पार्टी के कामकाज को लेकर मूलभूत सवाल उठाए, मुझे पर्याप्त रिस्पॉन्स नहीं मिला. यहां तक कि पार्टी का वरिष्ठ नेता होने के बावजूद मुझे सोनिया गांधी या राहुल गांधी से मुलाकात की इजाजत नहीं मिली.

मुझे महासचिवों के पास भेज दिया गया, जिनके बारे में आपको (सोनिया को) भी पता है कि वो किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं. इन सबसे मैं बहुत आहत हूं और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं.










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