कांग्रेस में व्यापक बदलाव और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र से पैदा हुए विवाद के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को कुछ महत्वपूर्ण नियुक्तियां की हैं. सोनिया गांधी ने राज्यसभा में पांच सदस्यीय पैनल का गठन किया और लोकसभा में दो सांसदों को वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया है.
दोनों सदनों के दो ग्रुप में पांच-पांच नेता शामिल होंगे. इसमें राज्यसभा के लिए जो ग्रुप बनाया गया है कि उसमें गुलाम नबी आजाद, पार्टी के उप नेता आनंद शर्मा, अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और जयराम रमेश शामिल हैं. इसके अलावा गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने रहेंगे.
14 सितंबर से आरंभ हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेता जयराम रमेश को राज्यसभा में मुख्य सचेतक नियुक्त किया है. इसके साथ ही गौरव गोगोई को लोकसभा में पार्टी का उप नेता नियुक्त किया गया है जबकि लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को सचेतक की जिम्मेदारी सौंपी है.
फिलहाल अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं, जबकि के. सुरेश मुख्य सचेतक हैं. गोगोई पहले सचेतक की भूमिका में थे. कपिल सिब्बल, जो पत्र के हस्ताक्षरकर्ता भी थे, उन्हें किसी भी कमेटी में स्थान नहीं दिया गया है.
एजेंसी रिपोर्ट्स की मानें तो नई नियुक्तियां पार्टी के भीतर असंतुष्टों, जैसे- शशि थरूर, मनीष तिवारी, आज़ाद और शर्मा के लिए एक संदेश हैं.
वहीं कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रहे संकट के बीच गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को एक बार फिर कांग्रेस कार्य समिति के पूर्ण पुनर्गठन की मांग की.आजाद ने कहा, ‘जिस किसी को भी कांग्रेस के आंतरिक कामकाज में दिलचस्पी है, वह हमारे प्रस्ताव का स्वागत करेगा.’
आजाद ने कहा, ‘हमारा इरादा कांग्रेस को सक्रिय और मजबूत बनाने का है. लेकिन जिन लोगों को केवल ‘अपॉइंटमेंट कार्ड’ मिले, वे हमारे प्रस्ताव का विरोध करते रहे. सीडब्ल्यूसी के सदस्य चुने जाने में क्या हर्ज है, जिनके पास पार्टी में स्थिर कार्यकाल होगा. अगर पार्टी में चुनाव नहीं होते हैं तो फिर 50 साल तक कांग्रेस को विपक्ष में बैठे रहना पड़ सकता है.’