राजधानी दिल्ली में उत्तराखंड के सीएम को बदलने की रूपरेखा लिखी जा रही है. उत्तराखंड में अगले साल के शुरुआत में ही विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसे लेकर विपक्ष जोरदार तरीके से तैयारी में जुट गया है. वहीं बीजेपी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर पार्टी में एक गुट ने मोर्चा खोल दिया है.
त्रिवेंद्र सरकार में मचे सियासी घमासान के बीच राज्य की कांग्रेस में बाहर छा गई है. कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि भाजपा हाईकमान कांग्रेस शासित राज्य सरकारों में फूट डालकर अपनी सरकार बनाती है, अब उसको स्वयं उत्तराखंड में वैसे ही हालातों का सामना करना पड़ रहा है.
उत्तराखंड में जारी तीन दिनों से सियासी भूचाल के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट कर तंज करते हुए लिखा कि ‘उत्तराखंड भाजपा में सत्ता की खुली लड़ाई, चिंताजनक स्थिति बयान कर रही है. कुछ उजाड़ू बल्द जिनको भाजपा पैसारूपी घास दिखाकर हमारे घर से चुराकर ले गई, उसका आनंद अब भाजपा को भी आ रहा है. हरीश रावत ने लिखा कि भाजपा ने जो बोया, उसको काटना पड़ेगाा’.
वहीं उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि बजट सत्र को बीच में छोड़ने से साबित हो रहा है कि भाजपा में जबरदस्त अंदरूनी घमासान है. प्रीतम सिंह ने कहा कि विपक्ष ने सदन के भीतर महंगाई, बेरोजगारी, किसान, मातृशक्ति पर लाठीचार्ज, आपदा प्रबंधन, गन्ना किसान सहित सभी जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरा.
सरकार का सदन के अंदर प्रदर्शन देखकर ही कांग्रेस को इस बात का अंदाजा हो गया था कि सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अचानक त्रिवेंद्र सिंह रावत का राजधानी गैरसैंण से आना भाजपा सरकार में सियासी भूचाल की पुष्टि हो गई थी.
प्रीतम ने कहा कि चुनाव के ऐनमौके पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर दूसरे को मुख्यमंत्री बनाना बताता है कि राज्य की भाजपा सरकार ने देवभूमि के लोगों को चार सालों में निराश किया है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार के पास विधायकों के क्षेत्र की समस्याएंं सुनने का वक्त नहीं है, वह आपसी कलह निपटाने में पूरे चार साल व्यतीत कर गई. भाजपा का ध्येय मात्र सत्ता प्राप्ति ही रहता है.