सेना और सैन्य अधिकारियों के बारे में खूब बातें की जाती हैं. हालांकि आप यह बात जानकर हैरान रह जाएंगे कि सैन्य अधिकारियों के वेतन में कई विसंगतियां मौजूद हैं. उदाहरण के लिए कर्नल पद पर तैनात एक अधिकारी को अपने से ऊपर रैंक लेफ्टिनेंट जनरल पद पर तैनात व्यक्ति से अधिक वेतन मिलता है.
उदाहरण के लिए, सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल को हर महीने 2,26,200 रुपये तक मिल सकते हैं. इसी तरह कर्नल को 2,29,500 रुपये और ब्रिगेडियर को 2,33,100 रुपये प्रति माह मिल सकते हैं. लेकिन सेना के उप प्रमुख को प्रति माह 2,25,000 रुपये से अधिक नहीं दिया जा सकता है.
मिलिट्री सर्विस पे है वजह
एक अंग्रेजी अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस विसंगति का कारण वेतन का मिलिट्री सर्विस पे वाला हिस्सा है. ब्रिगेडियर रैंक तक के सैन्य अधिकारियों के वेतन में 15,500 रुपये तक मिलिट्री सर्विस पे के हिस्से में होते हैं. ब्रिगेडियर के रैंक के बाद इस हिस्से को वेतन में अलग से नहीं जोड़ा जाता है. इस कारण जूनियर रैंक को सीनियर से अधिक पैसे मिल जाते हैं.
“मिलिट्री सर्विस पे के कारण लेफ्टिनेंट कर्नल से ब्रिगेडियर रैंक तक के अधिकारियों का वेतन मेजर जनरल से लेफ्टिनेंट जनरल रैंक तक के अधिकारियों के वेतन से अधिक हो जाता है.”
“इस बारे में रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार बार-बार इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद भी सुलझाने में नाकामयाब रही है. जब अरुण जेटली रक्षा मंत्री थे, तब उन्होंने इस विसंगति को दूर करने का प्रयास किया था. हालांकि तब वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बिना उन्हें बताए फाइल बंद कर दी थी. कुछ समय बाद फाइल को फिर से खोला भी गया, लेकिन वित्त मंत्रालय के बेतुके सवालों के पेंच में मामला फंस गया.
पेंशन में भी ऐसी ही विसंगति
सैन्य अधिकारियों से जुड़ी यह विसंगति वेतन तक ही सीमित नहीं है. यह मामला पेंशन में भी व्याप्त है. पेंशन को देखें तो कई जनरलों को जूनियर अधिकारियों से कम पैसे मिल रहे हैं. इस बारे में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि एक विशेष प्रावधान मेजर जनरल से लेकर ब्रिगेडियर तक के पेंशन को कुछ हद तक सुरक्षित रखता है, लेकिन यह प्रावधान उच्चतर रैंक के अधिकारियों के पेंशन पर लागू नहीं होता है.”
साभार- जन सत्ता