‘एक सैनिक हमेशा सैनिक ही रहता है.’ मिलिट्री कल्चर में यह लाइन बड़ी मशहूर है. अगर आप कभी कर्नल पृथीपाल सिंह गिल (रिटा.) से हाथ मिलाएं तो आपको एहसास हो जाएगा कि ऐसा क्यों कहा जाता है. उम्र के 100वें पड़ाव पर खड़े दूसरे विश्व युद्ध के इस वेटरन का जज्बा आज भी वैसा ही है, जैसा 1942 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स में बतौर कैडेट जॉइन करते समय था.
पिता को डर न होता तो शायद एयरफोर्स में ही रहते. मगर किस्मत को तो उनके नाम कुछ खास करना था. एयरफोर्स से नेवी में गए और फिर वहां से आर्मी में. जब रिटायर हुए तो देश के इकलौते ऐसे अधिकारी बन चुके थे जिसने सेना के तीनों अंगों- थल सेना, नौसेना और वायुसेना में अपनी सेवाएं दी हों.
1965 का भारत-पाक युद्ध हो या जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बॉर्डर, कर्नल पृथीपाल ने सब देखा है. पूर्वोत्तर के पहाड़ी जंगलों में भी उनके कई साल गुजरे हैं. आज वह अपना 100वां जन्मदिन मना रहे हैं.
एयरफोर्स से शुरुआत, असम राइफल्स से हुए रिटायर
कर्नल पृथीपाल सिंह गिल (रिटा.) ने अंग्रेजों की रॉयल इंडियन एयरफोर्स में बतौर पायलट अपने सैन्य जीवन की शुरुआत की थी. कराची में फ्लाइट कैडेट थे. वहां साल भर से ज्यादा ही गुजरे थे कि पिता के डर से वापस लौटना पड़ा.
पिता को लगता था कि सिंह एयर क्रैश में मारे जाएंगे. आसमान से रिश्ता टूटा तो सिंह ने नौसेना का दामन थाम लिया. सिर्फ 23 साल की उम्र में भारतीय नौसेना का हिस्सा बन गए और 1943 से 1948 तक रहे. फिर एक सरकारी एजेंसी के साथ जुड़ाव रहा. वापस लौटे तो अप्रैल 1951 में भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट का हिस्सा बने.
1965 में जब भारत और पाकिस्तान में जंग छिड़ी तो सिंह थल सेना में गनर ऑफिसर थे. मणिपुर में असम राइफल्स के सेक्टर कमांडर पद से रिटायर हुए. उन्होंने कर्नल की रैंक तक पहुंचने के बाद 1970 में रिटायरमेंट ले लिया था.
सैम मॉनेकशा के साथ गुजरे वक्त की यादें हैं साथ
कर्नल पृथीपाल 1965 की जंग में 71 मीडियम रेजिमेंट का नेतृत्व कर रहे थे. ‘जंग के समय पाकिस्तानियों ने हमारी एक गन की बैटरियां चुरा ली थीं. लेकिन हम उनके पीछे गए और उन्हें वापस लेकर आए. एक गनर के लिए उसकी गन सबसे पवित्र होती है, उसे छोड़ा नहीं जा सकता.
कर्नल पृथीपाल को फील्ड मार्शल सैम मॉनेकशा के साथ गुजारा वक्त बड़े अच्छे से याद है. तब वह इम्फाल में सेक्टर कमांडर हुआ करते थे और वहीं पर सैम से उनकी मुलाकात हुई थी. दोनों साथ में शिकार पर जाते थे. 100 वसंत देखने के बाद भी कर्नल पृथीपाल का जोश कम नहीं हुआ है.
वह चंडीगढ़ प्रशासन को रास्ते पर लाने में लगे हैं. उनकी रिहाइशी और गैर-रिहाइशी इमारतों में सोलर प्लांट अनिवार्य करने की याचिका पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने प्रशासन को नोटिस दे रखा है.