देवस्थानम बोर्ड मामला: पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के एक ‘विधेयक’ पर उलझे तीरथ, बढ़ता जा रहा तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा

उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का पारित किया गया एक ‘विधेयक’ अभी भी मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की गले की ‘फांस’ बना हुआ है. यह बिल सीधे चार धामों से जुड़ा है. तीरथ सिंह रावत ने जब से ‘कुर्सी’ संभाली है तब से ही त्रिवेंद्र सिंह के इस फैसले को समाप्त करने के लिए ‘दबाव’ बना हुआ है.

लेकिन अभी तक तीरथ इस विधेयक को समाप्त करेंगे या यथावत रहने देंगे, इस पर फैसला नहीं कर पा रहे हैं. अब बात को आगे बढ़ाते हैं और जानते हैं पूरा मामला क्या है, जिसको लेकर तीर्थ पुरोहितों का ‘आक्रोश’ बढ़ता जा रहा है. कोरोना महामारी की वजह से उत्तराखंड की चार धाम यात्राओं पर फिलहाल रोक लगी हुई है. ऐसे में इन धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की चहल-पहल नहीं दिखाई दे रही है. लेकिन इन ‘विरोध-प्रदर्शन’ हर रोज बढ़ता जा रहा है.

पिछले काफी समय से उत्तराखंड में ‘देवस्थानम बोर्ड’ को ‘भंग’ करने के लिए तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ‘इस बार पुरोहितों ने तीरथ सरकार का ध्यान खींचने के लिए अनोखे अंदाज में विरोध जताया है. इन्होंने केदारनाथ मंदिर के चारों ओर योग की मुद्रा में चक्कर लगाकर अपना गुस्सा प्रकट किया है’. केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज ने कहा कि अगर सरकार द्वारा बनाया गया ये बोर्ड समाप्त नहीं किया गया तो विरोध प्रदर्शन और तेज किया जाएगा.

देवस्थानम बोर्ड के विरोध में पुजारियों ने कहा कि इस बोर्ड के बनने से उनके अधिकारों का ‘हनन’ हो रहा है. उत्तराखंड सरकार ने लगभग एक वर्ष पूर्व केदारनाथ धाम को देवस्थानम बोर्ड में शामिल किए जाने की घोषणा की थी. जिस पर पुरोहितों ने सरकार पर हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है.

तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि उत्तराखंड सरकार देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से केदारनाथ सहित बद्रीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री की प्राचीन काल से चली आ रही पूजा और यात्रा व्यवस्थाओं को बदलने का प्रयास कर रही है. जिसे हम सहन नहीं करेंगे.

वहीं गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ व केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड का लगातार विरोध करते आ रहे है. उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक बोर्ड भंग नहीं होता तब तक आंदोलन जारी रहेगा. पुरोहित सुधांशु सेमवाल ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ वह पिछले डेढ़ साल से आंदोलन कर रहे हैं. बावजूद इसके सरकार कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं कर रही है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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