रविवार को सीएम रावत ने स्व. गजेन्द्र दत्त नैथानी, जलाशय सूर्याधार का लोकार्पण किया. 50.25 करोड़ रूपये की लागत से बनी इस झील की धारण क्षमता 77 हजार घन मीटर है. यह झील 550 मी. लम्बी, 28 मीटर चौड़ी एवं 10 मीटर गहरी है. इस अवसर पर सीएम ने झील पर नौकायन किया एवं मत्स्य के बीज डाले.
यह झील सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में है. इस अवसर पर सीएम ने विकासखण्ड डोईवाला में सुसवा नदी के दायें किनारे पर लाल माटी खाले से बडकली पुल तक सुरक्षात्मक कार्य के लिए 2.63 करोड़ की सुरक्षात्मक कार्ययोजना, विकासखण्ड रायपुर के बांदल नदी पर सरखेत ग्राम की 1.85 करोड़ रूपये की लागत की बाढ़ सुरक्षा योजना एवं डोईवाला विकासखण्ड के अन्तर्गत सिमलासग्रान्ट नहर के विस्तारीकरण/ सुरक्षा एवं नवीनीकरण की 2.31 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया.
इस अवसर पर उन्होंने स्व. गजेन्द्र दत्त नैथानी को श्रद्धांजलि अर्पित की. सीएम ने कहा कि सूर्याधार क्षेत्र में लोगों को संचार सुविधाओं हेतु जियो का टावर लगाया जायेगा. सीएम ने कहा कि आज उत्तराखण्ड को एक ऐसा प्रोजेक्ट समर्पित किया जा रहा है, जिसके पीछे एक दूरगामी सोच है. इसका प्रयोजन व संदेश बहुत बड़ा है. उन्होंने कहा कि इस झील को बनाने का उद्देश्य सिर्फ पेयजल एवं सिंचाई ही नहीं है, इसके व्यापक परिणाम आयेंगे. इससे पानी के सोर्स रिचार्ज होंगे, पर्यावरण के लिए बेहतर ईको सिस्टम होगा. राज्य सरकार का प्रयास है कि आने वाले समय में यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से बेहतर डेस्टिनेशन बने.
इससे आने वाले समय में इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. सीएम ने कहा कि झील से 18 गांवों को ग्रैविटी वाटर की उपलब्धता होगी एवं 1247 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. पहले इस क्षेत्र में 534 हेक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई हो पाती थी. इस जलाशय के बनने से क्षेत्र की 30 हजार आबादी की प्रति व्यक्ति की प्रतिदिन 40 लीटर पानी की उपलब्धता से बढ़कर 100 लीटर प्रतिदिन हो जायेगी, अर्थात् प्रतिव्यक्ति को ढाई गुना अधिक पानी की उपलब्धता हो जायेगी.
इस सूर्याधार में वाटर स्पोर्ट्स को विकसित करने के प्रयास किये जायेंगे. यहां पर साल में 3-4 दिन के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. स्व. गजेन्द्र दत्त नैथानी जी के नाम पर इस झील का नाम रखा गया है. नैथानी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित किया. वे हमेशा से आरएसएस संघ की विधारधारा से जुड़े रहे. समाज की सेवा करना ही उनका एकमात्र धेय था.
सीएम ने कहा कि डोईवाला क्षेत्र का तेजी से विकास हो रहा है. डोईवाला में सिपेट बनाया गया है. रानीपोखरी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बनाई जा रही है. हर्रावाला में जच्च्चा बच्चा के लिए मल्टी स्पेशलिटी कैंसर हॉस्पिटल बनाया जा रहा है. 400 करोड़ रूपये की लागत से साइंस कॉलेज बनाया जायेगा. जिसमें रिसर्च का काम होगा. इसके लिए जगह चिन्हित कर ली गई है. यह कॉलेज 35-40 हेक्टेयर भूमि में बनेगे. इसमें देश-विदेश के वैज्ञानिक यहां विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में आयेंगे. यह राज्य ही नहीं, बल्कि देश के लिए भी बड़ी उपलब्धि होगी. हमारे राज्य में माध्यमिक स्तर तक तो बहुत अच्छी शिक्षा है, लेकिन उच्च शिक्षण संस्थान अभी अधिक नहीं.
सीएम ने कहा कि देहरादून में सौंग बांध एवं नैनीताल जनपद में जमरानी बांध दो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा रहा है. सौंग बांध से 60-65 वर्षों तक देहरादून एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों में ग्रैविटी वाटर उपलब्ध होगा. इससे 100 करोड़ से अधिक बिजली का खर्चा बचेगा. सौंग बांध के लिए फोरेस्ट क्लीयरेंस मिल चुकी है, राज्य सरकार का प्रयास है कि मार्च 2021 तक इसका शिलान्यास हो. रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. हर जनपद में झीलें बनाई जा रही है. वर्षा जल संचय एवं पानी के सोर्स को बढ़ाकर पानी की दिक्कतों को दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं.
सीएम ने कहा कि गन्ना किसानों का शत प्रतिशत भुगतान करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य है. धान के किसानों का ऑनलाइन पेमेंट किया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र एक रूपये में पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है, जो अभी तक 2360 रूपये था, जिसकी वजह से लोग पानी का कनेक्शन नहीं ले पा रहे थे. एक साल में राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के कनेक्शनों की संख्या 01 लाख 20 हजार रूपये से बढ़कर 4 लाख से अधिक लोगों को हर घर नल एवं जल देने का कार्य राज्य सरकार ने किया है.
2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर को अपना निजी कनेक्शन देने का कार्य करेंगे. अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के तहत सभी प्रदेशवासियों को 05 लाख रूपये तक का स्वास्थ्य सुरक्षा कवच दिया गया है. सभी को स्वास्थ्य सुरक्षा देने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है. आज देशभर के 22 हजार से अधिक अस्पतालों में इस गोल्डन कार्ड को दिखाकर लोग अपना निःशुल्क इलाज करा सकते हैं. आज उत्तराखण्ड में कोई भी घर ऐसा नहीं है, जहां पर लोगों के पास बिजली नहीं है.
महिलाओं के सिर से घास के बोझ को कैसे हटाया जाय, इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं. राज्य के सभी 13 जनपदों में एक-एक ब्लॉक को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया जा रहा है. महिलाओं के सिर से घास की गड्डी हटाई जाय, यह एक बड़ा टारगेट है. राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आर्थिकी में सुधार लाने के लिए न्याय पंचायत स्तर पर रूरल ग्रोथ सेंटर बनाये जा रहे हैं. अभी तक 107 रूरल ग्रोथ सेंटर बनाये जा चुके हैं. स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख रूपये तक का एवं किसानों को 03 लाख रूपये तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है.