आज 30 नवंबर है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बड़ा फैसला करने जा रहे हैं. यह ऐसा फैसला है जो विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की गले की फांस बना हुआ है. जी हां आज देवस्थानम बोर्ड को लेकर धामी सरकार अपना फैसला सुनाने जा रही है.
इस फैसले को लेकर चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज को बेसब्री से इंतजार है. सबसे बड़ी बात यह है कि 3 दिन बाद 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बड़ी जनसभा को संबोधित करने के लिए राजधानी देहरादून आ रहे हैं. इसको देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चाहते हैं देवस्थानम बोर्ड का मामला और तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी को दूर कर लिया जाए.
पिछले 2 साल से तीर्थ पुरोहित लगातार सरकार से देवस्थानम बोर्ड कानून को रद करने की मांग पर अड़े हुए हैं. तीर्थ पुरोहित धामी सरकार पर दबाव बनाने के लिए देहरादून में कई दिनों से डेरा जमाए हुए हैं.
पिछले दिनों राज्य के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने आश्वासन दिया था कि 30 नवंबर को देवस्थानम बोर्ड पर बड़ा फैसला लिया जाएगा. इसी को लेकर अब चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों की निगाहें लगी हुई है.
अब आइए जान लेते हैं सोमवार को इस बोर्ड को लेकर राज्य सरकार की ओर से क्या हुआ. कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है. इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आज मुख्यमंत्री रिपोर्ट पर निर्णय ले सकते हैं.
वैसे ही अभी कहा जा रहा है कि उप समिति ने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड भंग करने की सिफारिश की है. फिलहाल इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी. उधर तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार ने 30 नवंबर तक अगर देवस्थानम बोर्ड को सरकार वापस नहीं लेती है, तो वह चारों धामों में एक बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.
धामी सरकार भी नहीं चाहती विधानसभा चुनाव से पहले तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी मोल लिया जाए. दूसरी ओर आज धामी सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष कांग्रेस के नेता भी टकटकी लगाए हुए हैं. बता दें कि कांग्रेस देवस्थानम बोर्ड मामले को लेकर पूरी तरह से तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज के साथ में खड़ी हुई है.
शंभू नाथ गौतम