गुरुवार को सीएम धामी ने दून विश्वविद्यालय में डॉ. नित्यानन्द हिमालयी शोध एवं अध्ययन केन्द्र का लोकार्पण किया. सीएम ने दून विश्वविद्यालय में शोध एवं विज्ञान पर चल रही दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ भी किया. इस अवसर पर सीएम ने विभिन्न विषयों पर आधारित पुस्तकों का विमोचन भी किया.
सीएम ने कहा कि डॉ. नित्यानन्द ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित किया. उनका प्रयास रहता था, कि जनता के बीच जाकर जन समस्याएं सुनी जाएं और उसके बाद नीतियां बनाई जाएं. उनका मानना था कि विभिन्न क्षेत्रों में अधिक से अधिक शोध कार्य हों.
सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं. राज्य में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए 05 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. राज्य का संतुलित बजट बने इसके लिए हर क्षेत्र के विशेषज्ञों से संवाद स्थापित किया गया. जन सुझावों को ध्यान में रखते हुए राज्य का बजट बनाया जायेगा.
सीएम ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत का विश्व में मान-सम्मान बढ़ा है. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में देश तेजी से आगे बढ़ा है. 2014 के बाद से देश में नई कार्य संस्कृति आई है. पीएम मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है.
2025 तक उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार कृत संकल्पित है. उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का समग्र विकास हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. समाज के अन्तिम पंक्ति पर खड़े लोगों को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिले, इसके लिए योजनाओं को आम जन तक पहुंचाने के अधिकारियों को निदेश दिये गये हैं.
राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने कहा कि डॉ. नित्यानन्द जी ने समाज सेवा के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया. उन्होंने संवेदनशीलता के आधार पर समाजसेवा करने की सीख दी. वे चाहते थे कि उत्तराखण्ड में विभिन्न विषयों पर शोध हो. आज डॉ. नित्यानन्द हिमालयी शोध एवं अध्ययन केन्द्र के लोकार्पण के अवसर पर शोध पर ही कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, यह एक सुखद क्षण है.
इस अवसर पर पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के सचिव प्रो. संदीप वर्मा, प्रो. एस.पी.सिंह, प्रो. बानाकर, प्रो. मोनिका अग्रवाल, प्रो. दुर्गेश पंत, उत्तरांचल उत्थान परिषद के संरक्षक प्रेम बुड़ाकोटी, राम प्रकाश पैन्यूली, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, पूर्व कुलपति एवं विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े वैज्ञानिक मौजूद थे.