आपसी मनमुटाव और कुछ जख्म इतने गहरे होते हैं कि उनका जल्दी भरना आसान नहीं होता है. चाहे भले ही यह मामला सियासत का क्यों न हो. जबकि राजनीति के मैदान में यह भी कहावत है कि कोई दोस्त और दुश्मन स्थाई नहीं होता है. लेकिन पंजाब में दो नेताओं के बीच ‘तनातनी’ अभी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.
पिछले दो महीनों से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू का शुरू हुआ विवाद और उग्र रूप लेता जा रहा है. दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू ने अपना जनाधार और तेज कर दिया है.
वे पिछले दो दिनों से राज्य में अपनेे समर्थकों के साथ पदयात्रा पर निकले हुए हैं. इस दौरान सिद्धू मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ ‘हुंकार’ भी भर रहे हैं. वहीं सिद्धू को अभी तक कैप्टन ने बधाई नहीं दी है. जिससेे दोनों के करीब आने की संभावना है फिलहाल नहीं दिख रही है. अब दोनों नेताओं के बीच ‘माफी’ मांगने को लेकर बात अटक गई है.
‘कैप्टन ने साफ तौर पर कह दिया है कि जब तक सिद्धू मुझसे माफी नहीं मांगेंगे तब तक मैं उनसे नहीं मिलूंगा’. बता दें कि पिछले कुछ महीनों में नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर लगातार कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं. इसी बात को लेकर मुख्यमंत्री नाराज हैं. दूसरी ओर सिद्धू भी कैप्टन से माफी न मांगने का इशारा कर चुके हैं. पिछले दिनों कांग्रेस आलाकमान के नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद राज्य की सियासत और गरमा गई है.
सिद्धू को कमान दिए जाने के बाद अमरिंदर सिंह और उनके समर्थकों की नाराजगी और बढ़ा दी है. इस बीच आज पंजाब कांग्रेस के नव निर्वाचित अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में माथा टेका. उनके साथ बड़ी संख्या में मंत्रियों और विधायकों का जमावड़ा भी दिखाई दिया.
सिद्धू भी अपने समर्थकों और विधायकों के साथ अमरिंदर के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन भी करने में लगे हुए हैं. आज उन्होंने सभी पार्टी विधायकों को अमृतसर स्थित अपने आवास पर बैठक भी की. सिद्धू का दावा है कि उनके पास 62 विधायकों का समर्थन है. बता दें कि पंजाब में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 80 है. लेकिन अभी दोनों नेताओं का टकराव खत्म न होना कांग्रेस हाईकमान की भी चिंता बढ़ा रहा है.
पंजाब में इन दिनों जो समीकरण बनते जा रहे हैं वह बता रहे हैं कि अमरिंदर और सिद्धू के गुट पूरी तरह से आमने-सामने आ चुके हैं. दोनों के समर्थकों और विधायकों की एक दूसरे पर बयानबाजी भी तेज होती जा रही है. वहीं मुख्यमंत्री कैप्टन ने सीधे तौर पर कहा है कि जब तक सिद्धू सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगेंगे वो मुलाकात नहीं करेंंगे.
बीते कुछ समय में सिद्धू द्वारा राज्य सरकार के खिलाफ किए गए ट्वीट से छवि खराब होने के कारण कैप्टन अमरिंदर उनसे खफा हैंं. पंजाब में भले ही कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू के हाथ में कमान दे दी हो, पार्टी अभी भी बिखरी हुई है. बता दें कि पंजाब में भी अगले साल की शुरुआत में पांच राज्यों के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं. अगर कांग्रेस में यही हाल रहा तो उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार