चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया है. इस बीच चिराग पासवान मीडिया के सामने आए. उन्होंने कहा कि मेरे पिता के अस्पताल में भर्ती होने पर कुछ लोग पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रहे थे.
मेरे पिता ने मेरे चाचा (पशुपति कुमार पारस) सहित पार्टी के नेताओं से इसके बारे में पूछा. कुछ लोग उस संघर्ष के लिए तैयार नहीं थे जिससे हमें गुजरना पड़ा. पारस गुट ने चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया था, जिस पर चिराग ने कहा कि एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी के संविधान के हिसाब से दो ही परिस्थितियों में हटाया जा सकता है या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष की मृत्यु हो जाए या वो अपनी स्वेच्छा से अध्यक्ष का पद छोड़ दे. सदन के नेता की नियुक्ति संसदीय समिति का फैसला है, न कि मौजूदा सांसदों का.
पार्टी के 6 में से 5 सांसदों ने चिराग को हटाकर पारस को संसदीय दल का नेता चुन लिया. इस पर चिराग ने कहा, ‘मैंने चाचा से हमेशा बात करने की कोशिश की. परिवार को एकजुट रखने की कोशिश की. चाचा मुझसे कहते तो मैं खुशी खुशी उनको संसदीय दल का नेता बना देता. लेकिन अभी जिस तरह से उन्होंने किया है वह पार्टी संविधान के अनुरूप नहीं है.’
वहीं सोमवार को दूसरी तरफ चिराग पासवान ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की. इस बैठक में बगावत करने वाले सभी 5 सांसदों को बाहर कर दिया गया. चिराग ने कहा, ‘यह सब तब हुआ जब मैं ठीक नहीं था. मैंने उस समय अपने चाचा से बात करने की भी कोशिश की लेकिन मैं असफल रहा.’
चिराग ने कहा कि मैं शेर का बेटा हूं. अकेले चुनाव लड़ने से नहीं डरा था. अब पापा ने जिस सोच से पार्टी बनाई थी उसे आगे बढ़ाऊंगा. बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने पीएम मोदी को राम और खुद को हनुमान कहा था. इस सवाल पर चिराग ने कहा कि मदद मांगने की जरूरत पड़े तो काहे को हनुमान काहे को राम. मैं पापा के निधन पर अनाथ नहीं हुआ था लेकिन अब जा कर सही में अनाथ हुआ हूं.
उन्होंने कहा, ‘जेडीयू से कुछ सवाल पर समझौता नहीं हो सकता था इसलिए हमने अलग चुनाव लड़ा और अच्छे से लड़ा. साथ लड़ता तो अच्छा होता लेकिन नीतीश जी के सामने नतमस्तक होना पड़ता. बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था.’
इससे पहले चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा, ‘पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में लोजपा का नेता घोषित करने का निर्णय हमारी पार्टी के संविधान के प्रावधान के विपरीत है.’ उन्होंने अध्यक्ष से अपने पक्ष में नया सर्कुलर जारी करने का अनुरोध किया. लोकसभा अध्यक्ष ने पारस को एलजेपी का सदन का नेता चुन लिया था.