चिपको आंदोलन के नेता और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा नहीं रहे. कोरोना वायरस के चलते 95 वर्ष की उम्र में सुंदरलाल बहुगुणा ने ऋषिकेश एम्स में आखिरी सांस ली है. वह कुछ दिनों पहले कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे.
जिसके बाद हालत बिगड़ने पर उनको ऋषिकेश एम्स में भर्ती करवाया गया था. काफी दिनों से उनका यहां इलाज चल रहा है, मगर शुक्रवार को उनका निधन हो गया. सुंदरलाल बहुगुणा प्रख्यात गढ़वाली पर्यावरणवादी और चिपको आंदोलन के नेता थे.
यहां हम आपको बता दें कि सुंदरलाल बहुगुणा ने 1972 में चिपको आंदोलन को धार दी. साथ ही देश-दुनिया को वनों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया. परिणामस्वरूप चिपको आंदोलन की गूंज समूची दुनिया में सुनाई पड़ी. बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी बहुगुणा का नदियों, वनों व प्रकृति से बेहद गहरा जुड़ाव था.
वह पारिस्थितिकी को सबसे बड़ी आर्थिकी मानते थे. यही वजह भी है कि वह उत्तराखंड में बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए छोटी-छोटी परियोजनाओं के पक्षधर थे. इसीलिए वह टिहरी बांध जैसी बड़ी परियोजनाओं के पक्षधर नहीं थे.
इसे लेकर उन्होंने वृहद आंदोलन शुरू कर अलख जगाई थी. सुंदरलाल बहुगुण के निधन पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत समेत कई नेताओं ने शोक प्रकट किया है.