कोरोना वायरस को दुनियाभर में फैलाने के बाद चीनी राष्ट्रपति ने भारतीय सीमा में घुसपैठ करके अन्य देशों का ध्यान भटकाने की कोशिश तो की लेकिन अब वह अपने ही फेंके हुए जाल में फंसता हुआ नजर आ रहा है.
हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी को कहना पड़ा कि ‘विस्तारवाद चीन की जीन में नहीं है.’
भारत के जानेमाने रणनीतिकार ब्रह्म चेलानी ने कहा कि चीन आज से नहीं बल्कि इसका इतिहास ही विस्तारवाद का रहा है और माओ के बाद शी जिनपिंग यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अब नए तरीके से चीन हमेशा विस्तारवाद की ही दिशा में कदम बढ़ाता है.
खरी-खरी सुन बौखला जाता है चीनी मीडिया
चेलानी ने कहा, ‘कोरोना महामारी का फायदा उठाकर चीन ने अपनी सीमाओं के विस्तार का अजेंडा चलाया था लेकिन भारत समेत कई देशों ने उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.
वह दक्षिण चीन सागर में भी इसी तरह का अजेंडा चलाता रहता है.’
दरअसल ब्रह्म चेलानी अकसर चीन के बारे में तथ्यों के साथ विचार रखते रहते हैं.
चीनी मीडिया को उनकी खरी-खरी बातें बहुत कड़वी लगती है और फिर उधर से उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर जवाब दिया जाता है.
चेलानी ने खुद बताया कि उनके आर्टिकल के बाद चीन सरकार का मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ तुरंत जवाब देता है.
यह 2018 के बाद उनका 10वां ऐसा आर्टिकल है जिसपर चीनी मीडिया बौखला गया.
चेलानी ने कहा, ‘भारत ने अब चीन के साथ तुष्टीकरण का व्यवहार छोड़ दिया है जिसको देखकर चीन की भी हालत खराब है. पिछले महीने शी ने अपनी सेना PLA से कह दिया कि सीमाओं की सुरक्षा और मजबूत की जाए.’
चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी में हमला कर दिया था.
इसके बाद जवाबी हमले में उसके कई सैनिक मारे गए. पिछले 4 दशक में ऐसा पहली बार हुआ है कि चीन का कोई सैनिक यूएन पीसकीपिंग मिशन के अलावा कहीं मारा गया है.
चीन ने अब भी मारे गए सही संख्या को स्वीकार नहीं किया है और शी जिनपिंग को वैश्विक समुदाय के आगे शर्मिंदा भी होना पड़ा.’
हिमालयी सीमा पर भारत से कमजोर है चीन
चेलानी ने कहा कि हिमालय के ठंडे इलाकों में चीन के सैनिक भारतीय जवानों के आगे कहीं नहीं टिकते हैं.
अब चीन अपने सैनिकों के लिए ठंड में सरवाइव करने का इंतजाम कर रहा है.
चीन के नाक के नीचे तैनात है इंडिनय स्पेशल फोर्स
भारत ने पैंगोंग लेक इलाके में कम से कम 20 पहाड़ियों पर डॉमिनेंट पोजीशन ले ली है.
भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स चीन के नाक के नीचे ऑपरेशन चला रही है.
भारत ने चीन को कड़ा संदेश दिया है कि भारत और चीन के बीच में तिब्बत में चीन जितना मजबूत खुद को समझता है, उतना है नहीं.
तिब्बत के लोग चीन को अत्याचारी से ज्यादा कुछ नहीं समझते हैं. चीन चाहता है कि जिस तरह उसने दक्षिण चीन सागर में अपना दबदबा बना लिया है उस तरह से वह हिमालयी इलाके में भी कामयाब होगा लेकिन भारत ने उसे बता दिया है कि यह संभव नहीं है.
साभार-नवभारत