देहरादून| चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा उत्तराखंड के बाड़ाहोती इलाके में पिछले महीने घुसपैठ की कोशिश की खबरों के बाद हंगामा बरपा है. सूत्रों के अनुसार इससे पहले भी चमोली ज़िले के बड़ाहोती ‘नो-मैन्स लैंड’ में चीनी आर्मी के जवान आते रहे हैं लेकिन ये पहली बार हुआ, जब पिछले महीने बड़ी संख्या में जवान वहां चहलकदमी करते देखे गए थे. चीन की इस करतूत को उकसाने वाली हरकत माना जा रहा है.
इधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फ़िलहाल इस बारे में कोई जानकारी न होने की बात कही है. हालांकि पूर्व सीएम और पूर्व राज्यपाल राज्य की सीमा में घुसपैठ होने के बारे में बात कर चुके हैं.
क्यों सुर्खियों में है बाड़ाहोती?
दरअसल चमोली ज़िले में पड़ने वाला बाड़ाहोती ऐसा इलाका है, जहां घास के मैदानों में तिब्बती चरवाहे भी जाते रहे हैं. 1962 से पहले तक यहां उत्तराखंड की नीति घाटी के चरवाहे भी आते जाते रहे लेकिन उसके बाद यह सिलसिला बंद हो गया. पिछले कुछ समय से चीनी जवान यहां कई बार देखे गए हैं.
वो इस इलाके में आते हैं, घूमते हैं, सिगरेट और दूसरे रैपर फेंकते हैं. सूत्रों के अनुसार 30 अगस्त के आसपास बड़ी संख्या में चीनी जवान यहां आए थे. करीब 70 स्क्वायर किलोमीटर के इस इलाके के पास तिब्बत का दाफा नाम का गांव है. भारतीय साइड में इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस यानी आईटीबीपी तैनात रहती है जबकि सीमा पार चीनी सेना की चौकी है.
क्या कहती है सरकार?
उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस बाबत जब मंगलवार को पूछा गया तो उन्होंने जानकारी होने से इंकार कर दिया. सरकार के सीनियर अफसरों ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधी हुई है. चूंकि मामला दो देशों के संबंधों का है इसलिए राज्य सरकार और अधिकारी बहुत बचकर बात कर रहे हैं.
हालांकि उत्तराखंड के राज्यपाल रहे बीके जोशी और मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा इस बात को ऑन रिकॉर्ड कह चुके है कि बाड़ाहोती इलाके में चीनी घुसपैठ की कोशिश होती रही है. करीब तीन साल पहले चीनी हेलीकॉप्टर भारतीय एयर स्पेस में भी देखा गया था.
साभार-न्यूज 18