बीजिंग|….. चीन और भूटान के बीच सीमा वार्ता के 25वें दौर के बाद, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी इस साम्राज्य के खिलाफ भी एक मोर्चा खोलने वाली है. बीजिंग अपने मन-मुताबिक सीमा समस्या के निपटारे के लिए ऐसा करने वाला है. इसके लिए वह भूटान की पश्चिमी और मध्य भागों की सीमा पर लगातार सैनिकों को जुटा रहा है.
एक अंग्रेजी अख़बार ने इस बात की जानकारी दी. इस मामले के जानकार लोगों का कहना है कि आगामी बातचीत में, चीन अपनी सेना के मध्य भूटान के भागों में पहले से ही कब्जाए गये इलाकों का साम्राज्य के पश्चिमी इलाकों से अदला-बदली किए जाने के लिए मोलभाव कर सकता है. उन्होंने बताया कि हालांकि भूटान को पीएलए के उच्चतम स्तर के खतरे की जानकारी दे दी गई है.
भारत और चीन हाल ही में पूर्वी लद्दाख में चार महीने तक चलने वाले सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए पांच-सूत्रीय सर्वसम्मति पर पहुंचे थे, जिसमें सैनिकों को “जल्दी से पीछे हटाने” के लिए सहमति, तनाव बढ़ा सकने वाली किसी भी कार्रवाई से बचने और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल करने के लिए कदम उठाने की बात कही गई थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि भूटान, सिलीगुड़ी कॉरिडोर के बगल में है. ऐसे में थिम्पू की ओर से किसी भी क्षेत्र के लिए समझौता कर लेने का भारत के रक्षा उपायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
2017 में, भारत ने डोकलाम में गतिरोध के दौरान पीएलए के खिलाफ भूटान की सहायता की थी, जो 73 दिनों तक चली थी.
सूत्रों ने बताया है कि भूटान में बीजिंग के क्षेत्रीय दावों में पश्चिमी क्षेत्र में 318 वर्ग किमी और मध्य क्षेत्र में 495 वर्ग किमी के इलाके शामिल हैं.