चीन एक तरफ कहता है कि भारत के साथ वो कदम से कदम मिलाकर चलना चाहता है. दोनों देशों की तरक्की के लिए स्थायित्व और शांति का बने रहना जरूरी है. यह बात अलग है कि वो सीमा पर विवाद को जन्म भी देता रहता है. डोकलाम और गलवान को कौन भूल सकता है, अरुणाचल प्रदेश में वो नापाक चाल चलता ही रहता है, उत्तराखंड सीमा पर भी वो बाज नहीं आता.
हाल ही में नीति दर्रे के पास पीएलए का कैंप दिखाई दिया जिसके बाद तनाव बढ़ने के आसार है. हाल ही में बीजेपी की तरफ से गठित एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर एक रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कहा गया है कि पिछले 9 वर्षों में घुसपैठ नहीं हुई है.
जानकार कहते हैं कि चीन की तरफ से नापाक हरकतों का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा. जैसा कि हम सबको पता है कि चीन मैक्मोहन लाइन को मान्यता नहीं देता है और उसका असर आप इस तरह की गतिविधियों में देख सकते हैं.
चाहे लद्दाख का मुद्दा हो या अरुणाचल प्रदेश को चीन की नजर में यह सब इलाके ग्रेटर तिब्बत के हिस्से हैं, लिहाजा वो प्राकृतिक तौर पर दावा करता है. लेकिन सच यह है कि मैक्मोहन लाइन को अगर देखें तो चीनी दावा बेदम नजर आता है.