मंगलवार को वीर सावरकर पर एक किताब वीर सावरकर- द मैन हु कैन प्रिवेंटेड पार्टिशन का विमोचन किया गया जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए. विमोचन के अवसर पर उन्होंने कहा कि वीर सावरकर को खास विचारधारा के साथ बदनाम किया गया.
सच तो यह है कि जिस मर्सी पिटिशन का जिक्र किया जाता है उसके लिए महात्मा गांधी ने कहा था. अब इस बयान के बाद सियासत गरमा गई.
सियासी तवे पर बयानों की रोटी को फुलाने का काम छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने किया. उनके मुताबिक जिस तरह से छत्तीसगढ़ के नक्सली,आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से संचालित किए जाते हैं ठीक वैसे ही संघियों का संचालन नागपुर से होता है.
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल उस समय महात्मा गांधी कहाँ थे और सावरकर कहाँ थे? सावरकर जेल में थे. वे कैसे संवाद कर सकते थे? उन्होंने जेल से दया याचिका दायर की और अंग्रेजों के साथ रहना जारी रखा. वह 1925 में जेल से बाहर आने के बाद 2 राष्ट्र सिद्धांत की बात करने वाले पहले व्यक्ति थे.
वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर कहते हैं,मुझे नहीं लगता कि गांधी राष्ट्रपिता हैं. एआईएमआईएम के असदुद्दीन के ओवैसी के सावरकर को राष्ट्रपिता के रूप में टिप्पणी पर भारत जैसे देश में राष्ट्रपिता नहीं हो सकते हैं, हजारों हैं.
उन्होंने कहा कि यह बात सच है कि भारत की स्वतंत्रता लड़ाई में उन लोगों के योगदान को नकारा गया या तवज्जो नहीं मिली जो किसी भी रूप में किसी खास विचारधारा को नहीं मानते थे. देश जिस समय पराधीन था उस वक्त हर एक का मकसद सिर्फ आजादी थी.
आजादी की उस लड़ाई को आगे बढ़ाने के तौर तरीकों में अंतर जरूर था. लेकिन कुछ लोगों को इस तरह से प्रचारित किया गया जैसे कि उनका देश की स्वतंत्रता संग्राम में योगदान नहीं था.