भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान चरणजीत सिंह का गुरुवार सुबह पांच बजे निधन हो गया. वे 91 साल के थे. ऊना में उन्होंने अपने घर पर अंतिम सांस ली. चरणजीत पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे. चरणजीत के नेतृत्व में ही भारतीय टीम ने 1964 में टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था. चरणजीत अर्जुन अवार्ड और पद्मश्री से भी सम्मानित किए जा चुके हैं. आज शाम चार बजे ऊना के स्वर्गधाम में उनका अंतिम संस्कार होगा.
स्कूली शिक्षा के दौरान ही हॉकी खेलना शुरू किया
जानकारी के मुताबिक, चरणजीत सिंह ऊना जिला मुख्यालय के पीरनिगाह रोड पर मैड़ी में रहते थे. उनका जन्म 13 फरवरी 1931 को हुआ था. उन्होंने पंजाब के गुरदासपुर और लायलपुर से स्कूली पढ़ाई पूरी की थी. स्कूली शिक्षा के दौरान ही चरणजीत ने हॉकी खेलना शुरू कर दिया था. इसके बाद लुधियाना से एग्रीकल्चर से स्नातक की पढ़ाई की.
1950 में भारतीय टीम में शामिल हुए चरणजीत
साल 1949 में चरणजीत पंजाब यूनिवर्सिटी की हॉकी टीम में शामिल हुए. उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें यूनिवर्सिटी टीम का कप्तान बनाया गया. धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर चरणजीत का नाम उभर कर आया. 1950 में उन्हें भारतीय हॉकी टीम में चुना गया. 1951 में चरणजीत भारतीय टीम के साथ पाकिस्तान दौरे पर भी गए थे.
1962 एशियन गेम्स में जीता था सिल्वर मेडल
चरणजीत को रोम ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया था. हालांकि, फाइनल से पहले वह चोटिल हो गए थे और खिताबी मुकाबला नहीं खेल पाए थे. फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को हराकर गोल्ड मेडल जीता था. साल 1961 में चरणजीत भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान बने. 1962 में वह एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली टीम इंडिया का भी हिस्सा रहे. इसके लिए 1963 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया.
1964 ओलंपिक फाइनल में पाकिस्तान से लिया था बदला
1964 में चरणजीत के नेतृत्व में ही टीम इंडिया फाइनल में पहुंची और पाकिस्तान से 1960 ओलंपिक का बदला लिया. खिताबी मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को 1-0 से हराया और गोल्ड मेडल जीता. ओलपिंक गोल्ड जीतने के बाद 1964 में ही चरणजीत को सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था.
इसके अलावा भी चरणजीत को राज्यस्तरीय और अन्य सम्मान मिले. वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक पद पर भी रहे. वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे.