हमारे देश में हादसे के बाद उसके कारण और जांच बिठाई जाती है. जबकि अधिकांश मामलों में जांच के बाद खानापूर्ति ही की जाती है. लेकिन ऐसी घटनाएं दोबारा न हो उस पर ‘पारदर्शिता’ नहीं अपनाई जाती. अब एक और घटना के होने के बाद सवाल उठने पर उसके कारण ‘खोजे’ जा रहे हैं. अब बात को आगे बढ़ाते हैं. ’26 मई को रेलवे के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा जब ट्रेन की स्पीड से स्टेशन की बिल्डिंग ही भरभरा कर गिर गई हो’.
हालांकि अच्छी बात यह रही कि कोई भी व्यक्ति चोटिल नहीं हुआ, हादसे के समय अगर भवन के अंदर कोई मौजूद भी होता तो बड़ा हादसा हो सकता था. लेकिन इस घटना ने रेलवे मंत्रालय तक होश उड़ा दिए. सबसे बड़ी बात यह है कि इस रेलवे स्टेशन की यह बिल्डिंग ज्यादा पुरानी नहीं थी. ‘इस घटना के बाद छोटा रेलवे स्टेशन देश की सुर्खियों में आ गया, हादसे के बाद स्टेशन की बिल्डिंग निर्माण में घटिया सामग्री प्रयोग करने पर सवाल भी उठ रहे हैं’.
पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के नेपानगर से असीगढ़ के बीच छोटा स्टेशन जिसका नाम ‘चांदनी’ है. यह दिल्ली मुंबई के रेल मार्ग पर स्थित है. बुधवार शाम करीब 4 बजे ‘पुष्पक’ एक्सप्रेस चांदनी को जब पार कर रही थी उसी दौरान इस रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग भरभरा कर गिर पड़ी. ट्रेन की स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटे थी.
हादसे के दौरान कंपन इतना तेज था कि स्टेशन सुप्रिटेंडेंट के कमरे की खिड़कियों के कांच टूट गए, बोर्ड नीचे गिर गए. मलबा प्लेटफाॅर्म पर बिखर गया. मौके पर तैनात सहायक स्टेशन मास्टर प्रदीप कुमार पवार ट्रेन को हरी झंडी दिखाने बाहर निकले लेकिन बिल्डिंग गिरती देख उन्हें वहां से ‘भागना’ पड़ा. आगे चलकर पुष्पक एक्सप्रेस एक घंटे तक खड़ी रही. इसके अलावा अन्य गाड़ियां करीब 30 मिनट तक प्रभावित हुईं.
चौंकने वाली बात यह है कि यह स्टेशन मात्र 14 साल पहले बना है. चांदनी रेलवे स्टेशन मुंबई-दिल्ली रेलवे का सबसे व्यस्ततम मार्ग है. इसलिए यहां से हाई स्पीड गाड़ियां पूरे दिन गुजरती हैं. हादसे के बाद करीब दो घंटे तक ट्रेनों को आउटर पर रोककर रखा गया. उसके बाद यहां से गाड़ियों को स्पीड कम कर निकाली गई है. भवन गिरने के बाद बिल्डिंग के निर्माण पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि रेलवे स्टेशनों के निर्माण में क्वालिटी से समझौता नहीं होता है.
हादसे की जानकारी पर रेलवे के आला अधिकारियों में हड़कंप मच गया और इसे पहले तो साधारण घटना बताने में लगे रहे. बाद में रेलवे के अधिकारी मौके पर मुआयना के लिए पहुंचे. भुसावल डीआरएम विवेक कुमार गुप्ता के मुताबिक चांदनी स्टेशन के भवन के एक हिस्से का छज्जा टूटा है. उन्होंने कहा कि चांदनी स्टेशन की यह बिल्डिंग साल 2007 में बनी थी. इसलिए इस बिल्डिंग का इतनी जल्दी गिर जाना सवालिया निशान लगा रहा है.
दूसरी ओर स्टेशन गिरने की घटना सोशल मीडिया पर भी छाई हुई है. यूजर इस पर अपने कमेंट के साथ सवाल भी उठा रहे हैं. अब आपको बताते हैं के इस घटना की जल्द ही पूरी जांच बिठा दी जाएगी. पूरी जांच धीरे-धीरे आगे बढ़ेगी. आखिर में जांच अधिकारी पूरे मामले की गोपनीय रिपोर्ट रेलवे मंत्रालय को सौंप देंगे. उसके बाद इस रेलवे स्टेशन के निर्माण में शामिल ठेकेदार की भूमिका को आगे लाया जाएगा और उसी को दोषी ठहराया जाएगा.