दस दिनों के मानसून सत्र में भाजपा सरकार महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने से दूर भागती रही है.
सत्र के दौरान सिर्फ सरकारी कामकाज हुआ. सिर्फ खानापूर्ति के लिए कुछ मसलों पर चर्चा हुई.
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को लेकर संसद में चर्चा नहीं की गई.
देश की अर्थव्यवस्था पर भी संसद में कोई चर्चा नहीं हुई. लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ कई महीनों से चले आ रहे गतिरोध और राष्ट्रीय सुरक्षा, देश की संप्रभुता से जुड़े इस अहम मसले पर संसद में रस्म अदायगी की गई.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों सदनों में चीन के मुद्दे पर बयान तो दिया लेकिन सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्षी सांसदों को इस मामले में सवाल पूछने का मौका तक नहीं दिया.
बता दें कि केंद्र सरकार ने यह बिल भी राज्यसभा से पारित कर लिए हैं. वह इस प्रकार हैं. राष्ट्रीय न्यायालिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, कंपनी (संशोधन) विधेयक, बैंककारी विनियमन विधेयक, आवश्यक वस्तु विधेयक, प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां विधेयक, राष्ट्रीय रक्षा विवि विधेयक, कराधान व अन्य विधि विधेयक, जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक, विनियोग विधेयक, विधेयक, उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक, विदेशी अभिदाय (विनियमन) संशोधन विधेयक, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक ऐसे रहे रहे जो भाजपा सरकार ने सदन से पारित कराएं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार