जब से 1966 में पंजाब का पुनर्गठन हुआ तब से कैप्टन अमरिंदर सिंह 11वें मुख्यमंत्री हैं, जो अपना कार्यकाल पूरा करने में विफल रहे हैं. कांग्रेस के ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर 1 नवंबर 1966 से 8 मार्च 1967 तक 127 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे थे.
उनके उत्तराधिकारी अकाली दल-संत फतेह सिंह समूह के गुरनाम सिंह 262 दिनों तक सीएम रहे. अगले मुख्यमंत्री पंजाब जनता पार्टी के लक्ष्मण सिंह गिल 272 दिनों के लिए सत्ता में थे. उनके इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा था.
एक अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरनाम सिंह एक बार फिर 17 फरवरी 1969 को सीएम के रूप में लौटे, और एक वर्ष 38 दिनों के लिए उच्च पद पर रहे. शिअद में विद्रोह के कारण उन्हें छोड़ना पड़ा. 27 मार्च 1970 को प्रकाश सिंह बादल ने उनसे पदभार ग्रहण किया, लेकिन एक वर्ष 79 दिन ही मुख्यमंत्री रहे.
लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारण उन्होंने कथित तौर पर इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद राष्ट्रपति शासन 277 दिनों तक चला. उनसे अगले मुख्यमंत्री कांग्रेस के ज्ञानी जैल सिंह जो बाद में राष्ट्रपति बने, पूरे कार्यकाल तक रहे, लेकिन उनके उत्तराधिकारी प्रकाश सिंह बादल दो साल और 242 दिन ही सत्ता में टिक पाए.
राज्य फिर से 110 दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन के अधीन आ गया जिसके बाद कांग्रेस के सीएम दरबारा सिंह तीन साल और 122 दिनों तक चले. एक साल और 358 दिनों के लिए एक और राष्ट्रपति शासन के बाद शिअद के सुरजीत सिंह बरनाला ने सीएम के रूप में पदभार संभाला, लेकिन वह भी एक साल और 255 दिनों से ज्यादा नहीं टिक सके.
कांग्रेस के अगले मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी. उनका कार्यकाल तीन साल 187 दिनों का था. उनके उत्तराधिकारी हरचरण सिंह बराड़ एक साल 82 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे. उनके इस्तीफे के बाद राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री कांग्रेस की राजिंदर कौर भट्टल ने पदभार ग्रहण किया. वह 82 दिनों तक इस पद पर बनी रह सकीं.
इसके बाद अगले दो दशकों के लिए स्थिरता लाते हुए, प्रकाश सिंह बादल ने 1997-2002 और 2007-17 तक तीन पूर्ण कार्यकाल पूरे किए. बाद में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने एक पूरा कार्यकाल (2002-07) भी पूरा किया. उनके इस्तीफे के साथ उनका दूसरा कार्यकाल चार साल 185 दिनों के बाद समाप्त हो गया.