मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने सोमवार को कोलकाता के पास न्यू टाउन इलाके में एक स्कूल स्थापित करने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली को भूखंड के अनियमित आवंटन के संबंध में उन्हें 10,000 रुपये का सांकेतिक जुमार्ना लगाया है. इसके अलावा, पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य के स्वामित्व वाले निगम -डब्ल्यूएचआईडीसीओ को 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायामूर्ति अरिजित बनर्जी की बेंचच ने जनहित याचिका पर सुनावाई करने के बाद कहा, जमीन आवंटन के मामले में निश्चित नीति होनी चाहिए. ताकि इस तरह के मामलों में दखल न दी जाए.
सौरव गागुली की शिक्षण संस्था को राज्य सरकार ने कोलकाता के न्यू टाउन एरिया में नियमों के विपरीत जमीन दी थी. जनहित याचिका के तहत भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अध्यक्ष और गांगुली एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी को स्कूल के लिए आवंटित दो एकड़ जमीन पर सवाल खड़े किए गए थे.
कानून के अनुसार काम करें गांगुली
सौरव गांगुली और गांगुली एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी पर लगाए गए 10,000 रुपये की सांकेतिक लागत पर कोर्ट ने कहा, यहां तक कि उन्हें कानून के अनुसार काम करना चाहिए था, विशेष रूप से पहले के फैसले पर विचार करते हुए जिसमें उनके पक्ष में भूखंड का मनमानी आवंटन सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया था.
खंडपीठ ने आगे कहा कि देश हमेशा खिलाड़ियों के साथ खड़ा होता है, खासकर जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, यह सही है कि गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में देश का नाम रोशन किया लेकिन जब बात नियम-कानून की आती है तो संविधान में सब बराबर हैं उससे कोई ऊपर नहीं हो सकता. साल 2016 में इस जमीन के आवंटन के लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी.