कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: हिमाचल प्रदेश में भी बिहार की तरह सामने आया चारा घोटाला

शिमला| हिमाचल प्रदेश में भी बिहार की तरह चारा घोटाला सामने आया है. सरकारी अफसर पशुओं के चारे का बजट डकार गए हैं. कैग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. वहीं, विभिन्न सरकारी विभागों में 202 करोड़ रुपये का गबन किया गया, जबकि 116 करोड़ रुपये का गैर जरूरी भुगतान भी कर दिया गया.

प्रदेश भर में 203 करोड़ रुपये के घोटाले किए गए हैं. दरअसल, हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन के पटल पर रखी 2018-19 की भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट रखी और इसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार पशुपालन विभाग में 99.71 लाख रुपये जबकि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में 1.13 करोड़ का गबन हुआ है.

एक हिंदी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल वर्दी के कपडे़ के परीक्षण में भी 1.62 करोड़ रुपये खर्च कर लैब को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है. सरकारी प्राप्तियों और लाभार्थी अंश को न तो रोकड़ बही में रेखांकित किया गया और न ही सरकारी खाते में जमा करवाया गया और इससे 99.71 लाख रुपये का गबन हुआ.

शिक्षा विभाग की निगरानी की कमी से स्टाफ क्वार्टर यानी कर्मचारी आवास गृह में नागरिक सुविधाओं को नामंजूरी दी गई, जिससे यह 49 महीने से अधिक वक्त तब बंद रहा. इससे 2.27 करोड़ रुपये का अनावश्यक व्यय हुआ है. आपदा के लिए रखी 14.69 करोड़ की राशि का भी दुरुपयोग किया गया है.

पवन हंस को अनुचित लाभ, 18 करोड़ रुपये की चपत
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के पास लीज पर लिए हेलीकॉप्टर के मामले में मैसर्ज पवन हंस लिमिटेड के खराब सुरक्षा रिकॉर्ड के मुद्दे को अनदेखा किया गया. अनुचित और मनमाने ढंग से दरों में 10 फीसदी की वार्षिक बढ़ोतरी की गई. नतीजतन 18.39 करोड़ रुपये का व्यय हुआ, जिससे बचा जा सकता था. अनुबंध अवधि की समाप्ति के बजाय वार्षिक आधार पर अधिक या कम उड़ान घंटों का समायोजन करने के कारण अप्रयुक्त उड़ान घंटों पर 6.97 करोड़ रुपये का निरर्थक व्यय हुआ.

ठेकेदारों को 2.88 करोड़ का अनुचित फायदा
सड़क के निलंबित कार्य के बारे में निष्पादन गारंटी हासिल नहीं करने, अनधिकृत उत्खनन कार्य के लिए उच्च दरों का भुगतान, उपयोगी पत्थरों की वसूली न हो पाने, क्षतिपूर्ति न करने और प्रतिभूति जमा राशि की कम कटौती करने से ठेके दारों को 2.88 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया गया है.

स्कूल वर्दी जांच में अनुचित लाभ देने से व्यय
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की दी जाने वाली निशुल्क वर्दी की जांच में अनुचित लाभ देने से 1.62 करोड़ रुपये का अनियमित व्यय हुआ है. शुक्रवार को विधानसभा सदन में रखी गई कैग रिपोर्ट ने वर्ष 2016-17 और 2017-18 में शिक्षा विभाग के लिए फैसलों पर सवाल उठाए हैं. नई दिल्ली की एक प्रयोगशाला को लाभ देने के लिए वित्तीय नियमों को नजरअंदाज करने का भी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है. अटल स्कूल वर्दी योजना के तहत सरकारी स्कूलों के सभी विद्यार्थियों को वर्दी का कपड़ा निशुल्क दिया जाता है. कपड़े की खरीद राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से की जाती है. वर्ष 2016-17 और 2017-18 में कपड़े के परीक्षण के लिए कंपनियों का चयन किए बिना मैसर्ज श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च नई दिल्ली को देने का फैसला लिया. शहरी निकायों में कूड़ा एकत्र करने और निष्पादन, ढुलाई पर 19.06 करोड़ रुपये की अनियमितताएं हुई हैं.

चूजों की बिक्री से 10.61 लाख का राशि की आय का गबन
हिमाचल प्रदेश पशुपालन विभाग में कुल 99.71 लाख का गबन हुआ है. पोल्ट्री फार्म नाहन में चूजों की बिक्री से 10.61 लाख का राशि की आय का अधीक्षक ने गबन किया है. पशु आहार योजना के तहत 7.20 लाख का गबन किया गया है. कृषक बकरी पालन योजना में लाभार्थी के अंश के रूप में 7.20 लाख का घोटाला हुआ है.

पॉलीटेक्निक कॉलेज निर्माण में देरी से 99.91 लाख का व्यय हुआ निष्फल
लाहौल स्पीति जिले में पॉलीटेक्निक कॉलेज के निर्माण के लिए भूमि हस्तांतरण से पूर्व कार्य स्थल की व्यवहार्यता जांचने में तकनीकी शिक्षा विभाग की विफलता और वैकल्पिक कार्य स्थल पर भूमि की पहचान में देरी के चलते 99.91 लाख रुपये का निष्फल व्यय हुआ. इस कारण सात करोड़ रुपये की निधियां भी अवरुद्ध हुईं. पॉलीटेक्निक का नौ से अधिक वर्षों तक निर्माण नहीं हुआ.

हिमाचल में अवैध निर्माण नहीं रोक पाई सरकार
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग (टीसीपी) हिमाचल में अवैध निर्माण को नहीं रोक पाई है. इसे रोकने के लिए ठोस नीति बनाई जानी थी. राज्य बिजली बोर्ड को 265.94 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद 393.97 करोड़ रुपये के बिजली उत्पादन की हानि हुई है. चार बिजली परियोजनाओं के संचालन और मरम्मत में चूक के चलते बिजली बोर्ड को यह नुकसान उठाना पड़ा है. आपूर्ति संहिता के प्रावधानों का पालन नहीं से बोर्ड को 3.76 करोड़ रुपये का राजस्व भी कम मिला. बागवानी विभाग ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि का अनियमित तरीके से बंटवारा करते हुए इसे कीटनाशकों की सब्सिडी में बदलकर बागवानों को दिया। विभाग में दोषपूर्ण अनुबंध से 1.47 करोड़ की क्षति हुई है. आपूर्तिकर्ता को 80 फीसदी अग्रिम भुगतान करने और खराब सामग्री से यह हानि हुई है. अनुबंध के अनुसार सिर्फ 40 फीसदी राशि का भुगतान किया जाना था. विश्व बैंक की वित्तीय मदद से 1,53,450 उन्नत किस्म के पौधों के लिए तीन फर्मों से अनुबंध किए थे. इन पौधों को गलत तरीके से कंटेनरों में रखा गया था. 25 फीसदी पौधे सूख गए थे. परिणाम स्वरूप सरकार को 1.47 करोड़ का नुकसान हुआ है.

बैंक में धोखे से कम राशि जमाकर हुआ विश्वविद्यालय में गबन
कैग रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षण एवं मुक्त अध्ययन केंद्र (इक्डोल) में हुए 1.13 करोड़ के प्रोस्पेक्टस घोटाले का भी खुलासा किया गया. विवि लेखा नियमावली का उल्लंघन करते हुए केंद्र ने वर्ष 2011 से 2018 के दौरान न तो कैश बुक को दुरुस्त किया और न ही बैंक के साथ प्रोस्पेक्टस बिक्री की प्राप्तियों का मिलान किया. बैंक में जमा की राशि वास्तविक प्रोस्पेक्टस की बिक्री से प्राप्त वास्तविक राशि की तुलना कम थी. कर्मचारी ने 2011 से 2018 के दौरान बैंक में धोखे से कम राशि जमा कर 1.13 करोड़ का गबन किया.

साभार -न्यूज़ 18

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