पिछले साल 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण हेतु भूमिपूजन किया था. इसके पश्चात निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया. अब भूमिपूजन को 1 साल पूरा होने वाला है, उससे एक दिन पहले सरकार ने बताया है कि राम मंदिर निर्माण स्थल पर अब तक क्या-क्या काम हो चुका है.
बताया गया है कि मिट्टी में बहुत सारा मलबा होता है, जो इसे अस्थिर मिट्टी बनाता है, तो स्थिर मिट्टी को खोजने के लिए एक सर्वेक्षण की आवश्यकता थी, जिसके लिए मिट्टी के अध्ययन और प्रयोगात्मक उत्खनन की आवश्यकता थी. दो एजेंसियों को लगाया गया. मृदा रिपोर्ट ज्ञात होने के बाद, राजू, पूर्व निदेशक आईआईटी दिल्ली के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया.
हमें मंदिर का निर्माण इस तरह से करने की आवश्यकता है कि मंदिर की दीर्घायु सुनिश्चित हो. प्राचीन मंदिरों की व्यवस्था की भी जांच की गई. विशेषज्ञ की सिफारिश के अनुसार फिलिंग सामग्री वाइब्रो पाइल्स थी. मलबा या अस्थिर मिट्टी की 12 मीटर गहराई थी. लगभग तीन मंजिला मलबा था. ट्रस्ट ने फैसला किया कि वे खुदाई का विकल्प चुनेंगे. 70 लाख क्यूबिक फीट मिट्टी की खुदाई हुई लेकिन उस जगह को कैसे भरा जाए, इसके लिए आईआईटी चेन्नई को शामिल किया गया.
अक्टूबर के महीने में मंदिर निर्माण हेतु तराशे गए पत्थरों को कार्यशाला से मंदिर परिसर में स्थानांतरित करने का कार्य प्रारंभ हुआ. इन्ही पत्थरों से भव्य और दिव्य रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण किया जाएगा. इस साल 15 मार्च को राम मंदिर निर्माण हेतु नींव भराई का कार्य प्रारंभ हो गया. मई के अंत में नींव के लिए लगातार चली खुदाई के बाद विशेषज्ञों की सलाह से यह निर्णय किया गया कि नींव भराई का कार्य Roller Compacted Concrete तकनीक से किया जाएगा.
लगभग 1,20,000 स्क्वायर फीट क्षेत्र में अभी 4 परत बिछाई गईं. कुल 40-45 ऐसी ही परत बिछाई जाएंगी. तब बताया गया था कि मंदिर निर्माण का कार्य लगातार चल रहा है. लगभग 1,20,000 घन मीटर मलबा निकाला गया है. एक फीट मोटी परत बिछाकर रोलर से कौंपैक्ट करने में 4 से 5 दिन लग रहे है. अक्टूबर माह तक यह कार्य पूर्ण होने की आशा है.
मंदिर के निर्माण का कार्य योजना के अनुसार चल रहा है और अनुमान है कि 2023 के अंत से भक्त भगवान राम के दर्शन कर सकेंगे. अयोध्या में पूरे राम मंदिर परिसर का निर्माण वर्ष 2025 तक होने की उम्मीद है; मंदिर परिसर में एक संग्रहालय, डिजिटल अभिलेखागार और एक शोध केंद्र भी बनेगा.