उत्तराखंड के चमोली जिले में बर्फबारी के साथ ब्रह्मकमल भी खिलना शुरू हो गए हैं. जमीन पर खिलने वाले इस फूल की धार्मिक और औषधीय विशेषता है. प्राचीन मान्यता के अनुसार, ब्रह्म कमल को इसका नाम ब्रह्मदेव के नाम पर मिला है.
इसका वैज्ञानिक नाम साउसिव्यूरिया ओबलावालाटा (Saussurea obvallata) है. ब्रह्मकमल एस्टेरेसी कुल का पौधा है.
सामान्य कमल की तरह यह पानी में नहीं उगता, बल्कि जमीन पर 4 हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर खिलता है.
हालांकि तीर्थयात्रीयों के अधिक दोहन के चलते यह लुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है. अब इसकी संख्या में लगभग 50 प्रतिशत से भी ज्यादा की कमी आ चुकी है.
अल्सर और कैंसर रोग के उपचार में इसकी जड़ों से प्राप्त होने वाले तेल का उपयोग होने से यह औषधीय पौधा होने के साथ ही विशेष धार्मिक महत्व भी रखता है.
शिव पूजन के साथ ही नंदादेवी पूजा में भी ब्रह्मकमल विशेष रूप से चढ़ाया जाता है.