गुजरात में भी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से सभी को ‘चौंका’ दिया. पिछले कुछ वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का अचानक किसी चेहरे को ‘प्रकट’ कर देना, राजनीति के अच्छे-अच्छे जानकार भी भाजपा की इस ‘नई सियासी नीति’ को समझ नहीं पा रहे हैं.
ये कोई पहला मौका नहीं है इससे पहले भी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर मोदी-शाह ‘सरप्राइज’ दे चुके हैं. गुजरात में भी इसी तरह हुआ.
विजय रुपाणी के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, पुरुषोत्तम रुपाला, गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, सीआर पाटिल और लक्षदीप के प्रशासक प्रफुल पटेल के नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे अधिक चर्चा में चल रहे थे. लेकिन हाईकमान ने गुजरात में भी सभी अटकलों को पीछे छोड़ दिया.
साल 2017 में पहली बार विधायक चुने गए एक ऐसा साधारण चेहरा भूपेंद्र भाई पटेल को राज्य की ‘कमान’ सौंप दी, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं कर रहा था. पीएम मोदी और अमित शाह ने इस ‘मिशन’ को इतना सीक्रेट रखा कि किसी को ‘हवा’ नहीं लगने दी. सियासी मैदान में चौंकाने वाले नाम को अचानक सामने लाना, मोदी-शाह का ‘स्टाइल’ भी बन गया है.
दोनों नेताओं के बीच कई सियासी फैसले उन्हीं तक सीमित रहते हैं. गुजरात में उम्मीद से बिल्कुल उलट भाजपा ने भूपेंद्र भाई पटेल के नाम पर मुहर लगाई. इस कदम से फिर पार्टी ने सभी को चौंकाया . न तो भूपेंद्र के नाम की कहीं अटकलें थीं, न उन्हें सीएम पद की दौड़ में कहीं दिखाया जा रहा था. लेकिन एनमौके पर भूपेंद्र भाई पटेल ने सभी दिग्गजों और अनुभवी नेताओं को पीछे छोड़ कर बाजी मार ली.
रेस में चलने वाले नेता पीछे रह जाते हैं अचानक कोई आकर संभालता है कुर्सी
जो रेस में आगे रहते हैं वह पीछे रह जाते हैं. और अचानक कोई आकर ‘कुर्सी’ संभाल लेता है. साल 2014 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के बाद देवेंद्र फडणवीस को अचानक मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी गई.
2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद कई नामों पर मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलें लग रही थीं लेकिन ऐनमौके पर योगी आदित्यनाथ को राज्य की सत्ता सौंप दी गई . ऐसे ही कई दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, झारखंड में रघुवर दास, उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत और पुष्कर सिंह धामी को भी अचानक राज्य की कमान सौंप कर चौंकाया था .
बता दें कि भूपेंद्र पटेल पाटीदार समाज से आते हैं. इसके साथ ही भूपेंद्र पटेल आरएसएस से लंबे समय से जुड़े रहे हैं. वे अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन रहे हैं. पटेल समुदाय में भी इनकी अच्छी पकड़ है.
भूपेंद्र पटेल 2017 में पहली बार अहमदाबाद की घाटलोडिया सीट से विधायक बने, उन्होंने 1 लाख से ज्यादा वोट से जीत दर्ज की थी. 59 वर्षीय भूपेंद्र पटेल ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है. वह कडवा पाटीदार समाज के नेता हैं. साथ ही राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकीं और अभी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के करीबी माने जाते हैं. आनंदीबेन के कहने पर घाटलोडिया विधानसभा सीट पर भूपेंद्र को टिकट मिली थी.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार