इस साल अप्रैल- मई महीने में असम में विधानसभा चुनाव होंगे. राज्य में विधानसभा की 126 सीटों के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
असम में पहली बार 2016 में सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इस बार चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फंट (एआईयूडीएफ) को अपने गठबंधन में शामिल किया है. कांग्रेस के गठबंधन में शामिल दलों की संख्या बढ़कर अब छह हो गई है.
वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने के साथ-साथ ध्रुवीकरण का भी काम तेज हो गया है. एआईयूडीएफ के सुप्रीमो एवं लोकसभा सांसद बदरूद्दीन अजमल ने विवादित बयान दिया है. उन्होंने बुधवार को अपने धुबरी निर्वाचन क्षेत्र के गौरीपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए जो बयान उसे वोटों के ध्रुवीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है.
2024 में सत्ता में आई तो मस्जिदों को गिरा देगी भाजपा-अजमल
अजमल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘भाजपा के पास देश भर की 3,500 मस्जिदों को सूची है, 2014 के आम चुनावों में अगर वह जीतकर आई तो वह इन मस्जिदों को गिरा देगी. तीन तलाक हमारे कूरान में हैं और हमारे इस ग्रंथ ने इस चीज की इजाजत दी हुई है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने इसे खत्म कर दिया. भाजपा ने बाबरी मस्जिद को गिराया और अब वह मस्जिद की जगह पर मंदिर का निर्माण कर रही है.’ एआईयूडीएफ नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा देश देश, महिलाओं, तीन तलाक और मस्जिदों की दुश्मन है.
‘हम क्या खाएंगे यह भाजपा नहीं बताए’
खाने की आदतों पर भाजपा पर निशाना साधते हुए अजमल ने कहा कि ‘हम कूरान में दिए गए जानवरों का मांस निश्चित रूप से खाएंगे. क्या भाजपा आपको बताएगी कि आपको अपने घरों में कौन सा मांस खाना चाहिए? क्या आप इसे स्वीकार करेंगे? क्या हम भाजपा के नौकर हैं? कूरान ने जो हमें खाने की इजाजत दी है हम उन जानवरों का मांस खाएंगे. हम सरकार के अन्य निर्देशों का पालन करेंगे लेकिन हम इस तरह की बातों को नहीं मानेंगे.’
‘महिलाओं को बुर्का पहनकर निकलना बंद हो जाएगा’
एआईयूडीएफ नेता ने आगे कहा, ‘असम में यदि भाजपा सत्ता में बनी रहती है तो जो बात मैंने कही है उसे वह लागू करेगी. महिलाओं का बुर्का पहनकर बाहर निकलना बंद हो जाएगा. दाढ़ी बढ़ाकर ओर स्कल आकार वाली टोपी पहनकर लोग बाहर नहीं निकल पाएंगे. आप मस्जिदों में अजान नहीं दे पाएंगे. क्या आप ऐसी पार्टी को वोट देंगे. आप उस पार्टी के पक्ष में वोट देंगे जो आपको बर्दाश्त नहीं करती है. एआईयूडीएफ की सीटों पर भाजपा इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों को खड़ा करेगी. उससे सावधान हो जाइए. हेमंत पहले ही कह चुका है कि मुस्लिम इलाकों से भाजपा 26 सीटें जीतेगी.’
मुस्लिम वोटों पर कांग्रेस-एआईयूडीएफ की नजर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में कांग्रेस और एआईयूडीएफ दोनों कमजोर हुए हैं. तरुण गोगोई की मौत के बाद कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है जबकि एआईयूडीएफ के वोट प्रतिशत में कमी आई है. दोनों पार्टियों का मानना है कि अलग-अलग चुनाव लड़ने पर उन्हें नुकसान और भाजपा को फायदा होगा. भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस ने अपने गठबंधन में एआईयूडीएफ को शामिल किया है. यह अलग बात है कि तरुण गोगोई ने कभी एआईयूडीएफ को ‘सांप्रदायिक पार्टी’ और भाजपा की बी टीम बताया था. साल 2006 में अजमल की पार्टी ने पहली बार विस चुनाव लड़ा और इस चुनाव में उसने 10 सीटों पर जीत दर्ज की. 2011 के चुनाव में उसके हिस्से 18 सीटें और 2016 के विधानसभा चुनाव में उसे 13 सीटों पर जीत मिली.
राज्य की 33 सीटें मुस्लिम बाहुल्य
राज्य में कम से कम 33 सीटें ऐसी हैं जहां के चुनाव नतीजे मुस्लिम मतदाता तय करते हैं. जानकारों का मानना है कि मुस्लिम वोटों में यदि बंटवारा नहीं हुआ तो कांग्रेस-एआईयूडीएफ गठबंधन कम से कम 40 सीटें आसानी से जीत सकता है. कांग्रेस-एआईयूडीएफ की कोशिश अपने इस वोट बैंक को एकजुट रखने की है. एआईयूडीएफ के साथ कांग्रेस के इस गठबंधन पर भाजपा ने हमला बोला है. हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम की संस्कृति एवं पहचान के लिए जो ‘खतरा’ है उसके लिए कांग्रेस अपना दरवाजा खोल रही है और लाल कालीन बिछा रही है.