नंदीग्राम से ममता की राजनीति खत्म करना चाहती है भाजपा

भाजपा बंगाल में सत्ता पाने के साथ ममता बनर्जी की भी अब राजनीति खत्म करना चाहती है. नंदीग्राम सीट से भाजपा के प्रत्याशी शुभेंद्र अधिकारी 12 मार्च को नामांकन दाखिल करेंगे. भाजपा हाईकमान चाहता है कि नंदीग्राम से शुभेंद्र अधिकारी सहारे ममता बनर्जी को घेरा जाए. यहां हम आपको बता दें कि अधिकारी के नामांकन के दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और अभी हाल ही में पार्टी में आए फिल्म नेता मिथुन चक्रवर्ती भी उपस्थित हो सकते हैं.

‘पिछले दिनों शुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम से ममता 50 हजार वोटों से हराने का दावा किया है’. शुभेंदु के नामांकन के दौरान भाजपा एक मेगा रोड शो करेगी, जिसमें भाजपा के कई दिग्गज नेता शामिल होंगे. ‘नंदीग्राम का सियासी संग्राम तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का विषय इसलिए भी बन चुका है, क्योंकि एक ओर जहां ममता बनर्जी हैं तो दूसरी कभी उनके बेहद करीबी और नंदीग्राम में टीएमसी की जीत सुनिश्चित कराने वाले शुभेंदु अधिकारी हैं’.

नंदीग्राम ममता बनर्जी के लिए बेहद अहम जगह है, उनके यहां से चुनाव लड़ने के फैसले के बाद करीब दो लाख मतदाताओं वाली नंदीग्राम सीट अब वो सीट बन गई है, जिस पर पूरे देश की निगाहें होंगी। ‘बंगाल के पूर्वी मिदनापुर में स्थित नंदीग्राम वही स्थान है जिसने ममता बनर्जी को राजनीति में आगे का रास्ता बनाया था’.

आइए हम आपको बताते हैं नंदीग्राम ममता बनर्जी के लिए बंगाल की सत्ता पर काबिज होने के लिए क्यों अहम माना जाता है. बता दें कि 14 साल पहले नंदीग्राम ‘आंदोलन’ ने ही ममता बनर्जी को बंगाल की सत्ता दिलाई थी और आज एक बार फिर से यह जगह उनके लिए चुनौती बनी हुई है. अब देखना होगा नंदीग्राम एक बार फिर ममता बनर्जी को इस विधानसभा चुनाव में कितना फायदा पहुंचाता है.

नंदीग्राम की घटना ने ममता को बंगाल की सत्ता पर पहुंचने का बनाया था रास्ता
नंदीग्राम को जानने के लिए हम आपको लगभग 14 वर्ष पीछे लिए चलते हैं. उस समय बंगाल में वाम दलों की सरकार थी और मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य थे. नंदीग्राम टाउन पूर्वी मिदनापुर जिले में स्थित है.

उन दिनों ममता बनर्जी अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को स्थापित करने के लिए लगीं हुई थी. वर्ष 2007 ममता बनर्जी के लिए राजनीति में ‘टर्निग प्वाइंट’ माना जाता है. आइए आपको बताते हैं उस साल हुई घटना का विरोध बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में फैल गया था. उस दौरान बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने नंदीग्राम में एक केमिकल फैक्ट्री लगाने की योजना बनाई थी.

इसके तहत इंडोनेशिया की एक कंपनी के लिए नंदीग्राम में जमीन अधिग्रहण किया जाना था, लेकिन इस प्रोजेक्ट का भारी विरोध शुरू हो गया. नंदीग्राम और आसपास क्षेत्रों के हजारों लोग सड़कों पर आकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने में जुट गए. मामला इतना बढ़ गया कि पुलिस को लोगों के ऊपर फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी.

उसके बाद यह मामला संसद में भी सुनाई दिया था, जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी. नंदीग्राम घटना के बाद ममता बनर्जी ने यहां दौरा किया. बड़े पैमाने पर चले इस आंदोलन से ही तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और तेज तर्रार नेता बनर्जी पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज होने में सफल रहीं। वाम दलों के खिलाफ ममता के किए गए आंदोलन में शुभेंदु अधिकारी उनके साथ कदम से कदम मिलाते रहे.

इस घटना के बाद उन्हें बंगाल से 34 साल बाद लेफ्ट की सरकार को उखाड़ फेंकने का मौका मिल गया. वर्ष 2011 में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर विराजमान हो गईं.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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