देहरादून| उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिटमस टेस्ट के रूप में देखे जा रहे सल्ट उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में तू डाल-डाल, मैं पात-पात का खेल चल रहा है. चुनाव जीतने का दावा दोनों दल कर रहे हैं, लेकिन कैंडिडेट घोषित करने को लेकर एक दूसरे की राह देख रहे हैं.
सल्ट विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 30 मार्च है, लेकिन अभी तक दोनों ही दलों ने अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. ये अलग बात है कि बीजेपी के दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के बड़े भाई महेश जीना जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हैं. लेकिन कांग्रेस को आशंका है कि बीजेपी अंतिम क्षणों में सीएम तीरथ सिंह रावत का नाम आगे कर रणनीतिक झटका दे सकती है.
सल्ट उपचुनाव के लिए बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार के नाम का ऐलान न करने के पीछे भी बड़ी सियासी कवायद का अंदाजा लगाया जा रहा है. प्रदेश की विधानसभा में 56 विधायकों वाली पार्टी को उपचुनाव के लिए प्रत्याशा का नाम घोषित करने में अंतिम समय तक परहेज को लेकर सियासी जानकार अलग-अलग कयास लगा रहे हैं. इस सवाल पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक कहते हैं कि पार्टी की राज्य चुनाव संचालन समिति, केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड को रिपोर्ट सौंप चुकी है. इनमें 6 नाम शामिल हैं. बंगाल चुनावों में व्यस्त होने के कारण बोर्ड की बैठक नहीं हो पा रही है. आज शाम या कल तक फैसला हो जाएगा.
इधर, बीजेपी के कैंडिडेट घोषित नहीं करने को लेकर कांग्रेस भी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. कांग्रेस को आशंका है कि बीजेपी ने भले ही दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के बड़े भाई महेश जीना को चुनाव प्रचार में उतार दिया हो, लेकिन वह अंतिम क्षण में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भी बतौर प्रत्याशी आगे कर सकती है. ऐसी सूरत में कांग्रेस भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है.
माना जा रहा है कि इसी वजह से कांग्रेस भी अपने कैंडिडेट का नाम घोषित नहीं कर रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि हम वेट एंड वॉच की स्थिति में नहीं हैं. लेकिन बीजेपी ने जब जीना को प्रचार के लिए भेज दिया है, तो फिर नाम घोषित करने में किस बात की देरी. प्रीतम सिंह का यह भी कहना है कि कांग्रेस आलाकमान कैंडिडेट पर विचार कर रहा है.
बहरहाल, सल्ट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए अगले कुछ घंटों में तस्वीर साफ हो जाएगी कि कांग्रेस की आशंका सही थी, या फिर बीजेपी लास्ट मूवमेंट तक कांग्रेस को उलझा कर रखना चाहती थी. क्योंकि 30 मार्च को नामांकन की अंतिम तिथि है. ऐसे में दोनों ही दलों को सोमवार तक अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करना ही पड़ेगा.