यशपाल आर्य न सिर्फ कांग्रेस में बल्कि बीजेपी में रहते हुए भी प्रदेश में एक बड़ा दलित चेहरा रहे हैं. ऐसे में, आर्य के साथ उनके विधायक बेटे की भी घर वापसी से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. पार्टी को अंदाज़ा है कि यशपाल के जाने से उसको कई सीटों पर नुकसान हो सकता है.
खासकर उत्तराखंड में मौजूद 18 फीसदी दलित वोट बैंक पर उसकी पकड़ कमज़ोर हो सकती है. अब आर्य के कांग्रेस जॉइन कर लेने से एक तरफ बीजेपी का सिरदर्द बढ़ गया है, तो उधर कांग्रेस के भीतर भी खलबली मची हुई है.
डैमेज को यहीं कंट्रोल करना बीजेपी की प्राथमिकता हो गई है. चंद घंटों के भीतर उमेश शर्मा काऊ से लेकर हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज के बदले सुर बानगी हैं कि कैसे बीजेपी के सामने कांग्रेसी बैकग्राउंड वाले नेताओं को संभालना चुनौती बन गया है.
कांग्रेस से बीजेपी में आए सतपाल महाराज तो यशपाल आर्य का नाम सुनते ही ‘नो कमेंट’ कहकर चल पड़ते हैं. गौरतलब है कि सोमवार को यशपाल आर्य ने जब कांग्रेस जॉइन की, तो चंद घंटों के भीतर ही हरक के बयान ने भी बीजेपी में खलबली मचा दी थी. हरक ने कुमाऊं और गढ़वाल में कई काम गिनाते हुए कहा था कि ‘मेरा प्रभाव प्रदेश की बहुत सी सीटों पर है.’
बीजेपी को हरक के भी हाथ से निकलने की आशंका सताने लगी थी. लिहाज़ा हरक को मैनेज करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को लगाया गया. मदन कौशिक ने हरिद्वार के डामकोठी गेस्ट हाउस में हरक को बुलाकर करीब एक घंटे तक बातचीत कर मामले को सुलझाया. बीजेपी अब कांग्रेसी बैकग्राउंड के नेताओं को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. उनको हर हाल में थामे रखना बीजेपी की मजबूरी बन गई है.
दरअसल, यशपाल आर्य उधमसिंह नगर की बाजपुर सीट से विधायक हैं. तराई के इस क्षेत्र में किसान आंदोलन के कारण बीजेपी पहले ही पस्त है. ऊपर से नैनीताल (यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य की सीट) और बाजुपर दो सीटें उसकी कम हो गईं. बीजेपी के लिए ये चैलैंज बन गया है कि यशपाल आर्य की टक्कर का दलित चेहरा किसे लाया जाए और कम से कम इन दो सीटों की भरपाई कैंसे की जाए. यशपाल आर्य का भीमताल, नैनीताल, किच्छा, सितारगंज आदि सीटों पर भी अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है.
यशपाल आर्य के बेटे नैनीताल विधायक संजीव के कांग्रेस में लौटने के बाद नैनीताल सीट पर कांग्रेस में घमासान शुरू हो गया है. पिता पुत्र की वापसी के बारे में अनभिज्ञ रखे जाने का आरोप लगाकर कांग्रेस महिला प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य ने कहा कि यशपाल बीजेपी में मलाई खाने के बाद लौट आए. सरिता ने कहा कि पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो पार्टी छोड़ देंगी.
वहीं, यशपाल के बीजेपी जॉइन करने के दौरान कांग्रेस पहुंचे हेम आर्य की उम्मीद टूट रही है. हालांकि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में उत्साह में ज़रूर है, लेकिन दावेदार परेशान हैं. दूसरी तरफ, पिछले 5 सालों से गायब दावेदार दिनेश आर्य के साथ अम्बादत्त आर्य, प्रकाश आर्य भी टिकट पर दावा ठोकने लगे हैं. दिनेश आर्य ने कहा कि वो 1993 से दावेदार हैं लेकिन आज तक पार्टी ने टिकट नहीं दिया. अब कड़वे अनुभव ले चुकी पार्टी ऐसे लोगों पर भरोसा नहीं करेगी.
साभार-न्यूज़ 18