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सैयद जफर इस्लाम की वफादारी भाजपा ने निभाई ‘राज्यसभा की यारी’

सैयद जफर इस्लाम
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दुनिया का दस्तूर रहा है एक हाथ से ले दूसरे हाथ से दे। भारतीय जनता पार्टी एक ऐसा दल है जो अपने वफादारों का एहसान चुकाना नहीं भूलती है. बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले कुछ वफादारी के बारे में भी जान लिया जाए. यहां हम आपको बता दें की जब केंद्र की मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक पर देश में कानून बनाने का फैसला किया था तब उत्तर प्रदेश बहराइच के पूर्व सांसद और पी वी नरसिम्हा राव सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर प्रशंसा की थी. आरिफ मोहम्मद की यह बात मोदी को इतनी पसंद आ गई कि उन्हें कुछ समय बाद ही केरल के राज्यपाल के पद पर नियुक्ति दे दी थी.

आरिफ के राजपाल की नियुक्ति पर विपक्षी दलों के नेताओं ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. ऐसे ही देश के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रहे रंजन गोगोई ने भी कई फैसले केंद्र सरकार के मन के मुताबिक सुनाएं. इसमें अयोध्या का राम मंदिर, राफेल विमान की खरीद, यही नहीं और राहुल गांधी का पीएम मोदी के लिए बयान ‘चौकीदार चोर’ के मामले में राहुल गांधी को फटकार और मोदी सरकार को क्लीन चिट देने के बाद भाजपा सरकार इतनी खुश हुई थी कि रंजन गोगोई के मुख्य न्यायाधीश पद से रिटायर होते ही उन्हें पिछले दरवाजे (राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत) से राज्यसभा भेज दिया गया.

अब बात करते हैं एक ऐसे युवा शख्स की जो पिछले कुछ वर्षों से पर्दे के पीछे भाजपा के प्रति पूरी तरह वफादार और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सैयद जफर इस्लाम की. इसी साल मार्च में सैयद जफर ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में लाने की सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी. आपको बता दें कि सिंधिया और जफर इस्लाम दोनों की दोस्ती काफी पुरानी है. अब भाजपा भी एक कदम आगे बढ़कर जफर इस्लाम के प्रति ‘अमर प्रेम’ दिखाया है. गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह का इसी माह एक अगस्त को सिंगापुर में उपचार के दौरान एक अस्पताल में निधन हो गया था. अमर सिंह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद थे. अब भारतीय जनता पार्टी अमर सिंह के निधन के बाद खाली हुई सीट से सैयद जफर इस्लाम को यूपी से राज्यसभा सांसद भेज रही है.


11 सितंबर को होगा राज्यसभा का उपचुनाव
अमर सिंह के निधन से खाली हुई सीट पर 11 सितंबर को उप-चुनाव होगा. चुनाव आयोग ने इसकी घोषणा कर दी है. भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी राज्य सभा उप-चुनाव 2020 के लिए सैयद जफर इस्लाम को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. सैयद जफर ने सात साल पहले ही नरेंद्र मोदी के कहने पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी. इन वर्षों में वह भाजपा में एक मुखर और उदारवादी मुस्लिम चेहरा बनकर उभरे हैं.

सोशल मीडिया पर भी वह काफी सक्र‍िय रहते हैं। जफर को भारतीय जनता पार्टी ने अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बना रखा है. आपने देखा होगा चैनलों की डिबेट में जफर बहुत उदारवादी तरीके से भाजपा का पक्ष रखते हुए दिख जाएंगे. आइए जानते हैं जफर के बारे में, सैयद जफर इस्लाम भाजपा में शामिल होने से पहले जर्मन ड्यूश बैंक में एमडी पद पर तैनात थे. वह जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में रहते थे. उन्होंने राजनीति में अपने करियर की शुरुआत के लिए भारतीय जनता पार्टी को चुना. मोदी सरकार ने उनको वर्तमान समय में एयर इंडिया के निदेशक मंडल में शामिल कर रखा है.


मोदी सरकार की ‘गुडलिस्ट’ में शामिल हैं सैयद जफर इस्लाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सैयद जफर इस्लाम पर बहुत ही भरोसा जताते हैं. यही नहीं मोदी सरकार के अधिकांश फैसलों में भी जफर को शामिल किया जाता है. नरेंद्र मोदी के अलावा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा की गुडलिस्ट में भी शामिल हैं. मोदी सरकार को एक ऐसे प्रतिनिधि की जरूरत है जिसकी अंग्रेजी के साथ ही हिंदी पर भी बहुत अच्छी पकड़ हो. इसमें जफर इस्लाम एकदम खरे उतरे हैं.

अभी पिछले दिनों राजस्थान में सचिन पायलट को भाजपा में लाने के लिए जफर ने बहुत प्रयास किए थे लेकिन बात नहीं बन पाई. जफर और ज्योतिरादित्य सिंधिया इस प्रकार आए थे करीब. सिंधिया से जफर इस्लाम की मित्रता सियासी गलियारों में काफी चर्चित है. बात उन दिनों की है जब ज्योतिरादित्य सिंधिया यूपीए सरकार में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री हुआ करते थे, उसी दौरान जफर इस्लाम बैंकर की जॉब में थे. दोनों की मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गई. सिंधिया को भाजपा में शामिल कराने में भी जफर इस्लाम ने ही प्रमुख भूमिका निभाई थी. उसी के बदले भाजपा सैयद जफर इस्लाम को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा भेज रही है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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