कोरोना काल के बीच शुरू हुआ मानसून सत्र तय समय से पहले खत्म हो गया.
बुधवार को राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.
राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद से ही विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया और बीते पूरे दिन राज्यसभा में विपक्ष के सांसद मौजूद नहीं रहे.
इसी दौरान केंद्र सरकार ने ऊपरी सदन में सात बिलों को पास करवा लिया, जिनका आने वाले वक्त में काफी महत्व है.
राज्यसभा में विपक्ष के मौजूद न होने से सरकार को बिलों को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं आई और सिर्फ साढ़े तीन घंटे के वक्त में ही सात बिलों को ध्वनि मत से आसानी से पास करवा दिया गया.
सत्ता दल के सांसदों ने ही अपनी बात कही और बिल ध्वनि मत से पास हो गया.
आपको बता दें कि इस दौरान विपक्षी पार्टियां जैसे एआईएडीएमके, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस समेत कुछ छोटे अन्य दल भी सदन में मौजूद रहे.
यह सभी ऐसी पार्टियां हैं जो भाजपा की सहयोगी न होते हुए भी मोदी सरकार का साथ देतीं रहीं हैं.
राज्यसभा में इस सत्र में 25 बिल पास हुए हैं. इसमें कृषि से संबंधित तीन और श्रम सुधार से जुड़े तीन बिल शामिल हैं.
इनमें से ज्यादातर विधेयकों को केंद्र सरकार आसानी से पास कराने में सफल रही.
सबसे ज्यादा विवाद कृषि से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर रहा.
इन तीन बिलों को लेकर राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों में विपक्ष ने हंगामा किया.
लोकसभा में जहां नारेबाजी की गई और पेपर फाड़े गए तो वहीं राज्यसभा में विपक्ष ने सारी हदें पार कर दीं.
कांग्रेस, टीएमसी समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने उपसभापति पर आपत्तिजनक टिप्पणी तक की. इस पूरी घटना को लेकर खूब विवाद हुआ.
सभापति वेंकैया नायडू ने टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह समेत आठ सांसदों को बचे हुए सत्र के लिए निलंबित कर दिया.
ये सांसद अपना निलंबन वापस कराने पर अड़ गए थे, बाद में निलंबित सांसदों ने संसद में धरना दिया.
इन सांसदों की मांग थी कि सरकार कृषि संबंधित बिल को वापस ले, लेकिन मोदी सरकार ने उनकी एक न सुनी.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार