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योगी की जनसंख्या नीति पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं हुए सहमत

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नीति लागू किए जाने के बाद देश भर में राजनीति गरमा गई है. पक्ष और विपक्ष के नेताओं की प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी के बाद अब एनडीए की सहयोगी जेडीयू ने भी आपत्ति जताई है.

इसके साथ विश्व हिंदू परिषद भी योगी के जनसंख्या नीति से सहमत नहीं है. उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ से सहमत होते नहीं दिखे. नीतीश ने यूपी की नई जनसंख्या नीति पर तंज कसते हुए कहा कि सिर्फ कानून बनाकर जनसंख्या पर नियंत्रण करना संभव नहीं है, जब महिलाएं शिक्षित होंगी तो अपने आप प्रजनन दर घटेगा. नीतीश कुमार ने कहा, कुछ लोग सोचते हैं कि सिर्फ कानून बनाने से कुछ हो जाएगा, सबकी अपनी अपनी सोच है.

लेकिन हम तो महिलाओं को शिक्षित करने पर काम कर रहे हैं. इसका असर सभी समुदायों पर पड़ेगा. बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून बना कर जनसंख्या को कंट्रोल नहीं किया जा सकता चीन में क्या हुआ ये सबने देखा. ऐसे में इसके लिए जागरूकता की जरूरत है. नीतीश कुमार ने कहा कि एक बात साफ कह देना चाहते हैं, जो राज्य जो करना चाहे वो कर सकता है. लेकिन कानून बना कर जनसंख्या काबू करना संभव नहीं है.

सीएम नीतीश ने कहा कि हम लोग तो इस पर काम करेंगे. कुछ लोगों को लगता है कि कानून बनाने से ये संभव है, तो वो उनकी सोच है. हमारी सोच अलग है. हम लोग तो अपने हिसाब और सोच से काम करेंगे. दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद ने जनसंख्या नियंत्रण बिल के दूसरे हिस्से पर सवाल खड़े किए हैं, जिसमें केवल एक बच्चा पैदा करने वाले दंपति को ज्यादा लाभ देने का जाब्ता बनाया गया है.

विहिप के आलोक कुमार ने कहा है कि हम आबादी को लेकर कानून लाने के सरकार के कदम का स्वागत करते हैं, क्योंकि आबादी में बेतहाशा वृद्धि पूरे देश के लिए एक विस्फोट की तरह है. आलोक कुमार ने कहा ‘बिल के पहले हिस्से में इस बात का जिक्र है कि दो बच्चों वाले दंपति को सरकारी सुविधाओं में लाभ दिया जाएगा. लेकिन दूसरे हिस्से में कहा गया है कि जिस दंपति का सिर्फ एक ही बच्चा होगा उसे ज्यादा लाभ दिया जाएगा.

हमें इस हिस्से पर आपत्ति है, क्योंकि इससे हिंदू और मुस्लिमों की जनसंख्या में असमानता पैदा होगी. सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि इससे जनसंख्या में नकारात्मक वृद्धि होगी. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने विश्व जनसंख्या दिवस पर नई जनसंख्या नीति जारी की है. इस नीति के तहत जनसंख्या नियंत्रण का फॉर्मूला तैयार किया गया है, जिससे बढ़ती आबादी पर रोक लगाई जा सके.

राजनीति भी शुरू: यूपी की आबादी पर लगाम लगाने के लिए योगी सरकार की ‘जनसंख्या नीति’ पर बढ़ता टकराव

अब उत्तर प्रदेश में एक नया मुद्दे पर सियासी घमासान शुरू हो चुका है. यह है ‘नई जनसंख्या नीति’ को लेकर विपक्षी नेताओं के बयान आने शुरू हो गए हैं. देश का सबसे बड़ा जनसंख्या वाले राज्य में आबादी नियंत्रण करने के लिए योगी सरकार ने एक नई पहल की है. रविवार दोपहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘जनसंख्या नीति’ 2021-30 जारी की. ‘नई जनसंख्या नीति अगले दस सालों के लिए मान्य होगी’.

इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि ‘समग्र विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है. जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोशिश करनी चाहिए. बड़े पैमाने पर जागरूकता लाने की जरूरत है. जनसंख्या नीति में समाज के हर तबके का ख्याल रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधक है.

बीते कई दशकों से बढ़ती आबादी पर चर्चा जारी है. यूपी में प्रजनन की दर घटाने की जरूरत है. मां के बेहतर स्वास्थ्य के लिए दो बच्चों के बीच अंतर रखना होगा. हर तबके को इससे जुड़ना होगा’. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दो बच्चों के बीच अंतराल होना चाहिए. दो बच्चों के बीच में अंतर स्वास्थ्य के लिए यह जरूरी है.

बच्चों के बीच अंतराल न होने से कुपोषण का खतरा रहता है. जनसंख्या नीति का नया ड्राफ्ट लॉन्च किया गया है, उसे प्रशासन के सभी विभाग तमाम सामाजिक और अन्य संगठनों के साथ मिलकर प्रभावी ढंग से लागू करने में सफल होंगे. मुख्यमंत्री योगी के इस फैसले के बाद प्रदेश में राजनीति ‘टकराव’ शुरू हो गया है. ‘इस नई जनसंख्या नीति को प्रदेश में हिंदू बनाम मुस्लिम हवा दी जा रही है’ . कांग्रेस, सपा और बसपा इसे भाजपा सरकार का ‘मिशन 22 के एजेंडे के रूप में देख रहीं हैं.

यह नीति ऐसे वक्त पर लाई जा रही है, जब उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. यह मुद्दा चुनाव से पहले राज्य के मेन फोकस क्षेत्रों में से एक के तौर पर उभरकर आया है. ‘योगी सरकार की नई जनसंख्या नीति पर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि इस कानून से कोई लाभ नहीं है, यह कानून कुदरत से टकराने वाला होगा’. ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि यूपी सरकार जनसंख्या नीति के तहत वही काम करना चाहती है, जो काम इंदिरा गांधी ने किया था. जनसंख्या कानून लागू करने से पहले लोगों को शिक्षित करना चाहिए.

राजभर ने कहा कि सरकार अभी बच्चा पैदा करने पर छह हजार रुपये दे रही है और नसबंदी कराने पर दो हजार दे रही है, आदमी कम पैसे की ओर जाएगा या ज्यादा पैसे की ओर. वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण देश और वक्त की जरूरत है, अगर उत्तर प्रदेश इस दिशा में जागरूकता के लिए काम कर रहा है तो इसका स्वागत होना चाहिए. एक बार कांग्रेस पार्टी ने भद्दे ढंग से प्रयास किए थे जो फेल हुए लेकिन बेहतर तरीके से लोगों को जागरूक करना चाहिए.

दो से अधिक बच्चे वाले तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे
आइए आपको बताते हैं उत्तर प्रदेश सरकार की यह जनसंख्या नीति और उद्देश्य क्या है. 2021 से 2030 के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी. वहीं, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर को कम करने, नपुंसकता/बांझपन की समस्या के समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या में स्थिरता लाने के प्रयास भी किए जाएंगे.

इसके साथ ही इस नीति का उद्देश्य 12 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी है. आपको बता दें कि इस ड्राफ्ट के मुताबिक, दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्ति को ‘सरकारी योजनाओं’ का लाभ नहीं मिलेगा. वह व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पाएगा और न ही किसी स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ सकेगा. आयोग ने 19 जुलाई तक जनता से राय मांगी है.

दरअसल ये कानून राज्य में दो बच्चों की पॉलिसी को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन करता है. ‘इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्ति का राशन कार्ड चार सदस्यों तक सीमित होगा और वह किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं होगा’. कानून लागू होने के सालभर के भीतर सभी सरकारी कर्मचारियों और स्थानीय निकाय चुनाव में चुन हए जनप्रतिनिधियों को एक ‘शपथपत्र’ देना होगा कि वो नियम का उल्लंघन नहीं करेंगे.

शपथपत्र देने के बाद अगर वह तीसरा बच्चा पैदा करते हैं तो ड्राफ्ट में सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन रोकने और बर्खास्त करने तक की सिफारिश की गई है. हालांकि तीसरे बच्चे को गोद लेने पर रोक नहीं है. अधिकतम दो बच्चों की पॉलिसी का पालन करने वाले और स्वैच्छिक नसबंदी करवाने वाले अभिभावकों को सरकार खास सुविधाएं देगी.

ऐसे सरकारी कर्मचारियों को दो अतिरिक्त सैलरी और इंक्रीमेंट इंक्रीमेंट, प्रमोशन 12 महीने का मातृत्व या पितृत्व अवकाश, जीवन साथी को बीमा कवरेज, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में एंप्लायर कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं मिलेगी. वहीं जिनके पास सरकारी नौकरी नहीं है, ड्राफ्ट में उन्हें पानी, बिजली, होम टैक्स, होम लोन जैसी कई सुविधाएं देने का प्रस्ताव है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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