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कृषि कानून के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से बी एस मान ने खुद को किया अलग, आखिर वजह क्या बनी!

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बी एस मान, कमेटी के सदस्य और बीकेयू के नेता

कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है और संबंधित पक्षों को सुनने के लिए चार सदस्यों वाली कमेटी गठित कर दिया है. उस कमेटी में बी एस मान, अशोक गुलाटी, पी के जोशी और अनिल घनवत को जगह मिली थी. लेकिन भारतीय किसान यूनियन के बी एस मान ने कमेटी से अपने आपको अलग कर लिया है.

बी एस मान ने इस संबंध में जो खत लिखा है उसमें कहा है कि किसान यूनियनों और जनता के बीच प्रचलित भावनाओं और आशंकाओं के मद्देनजर, मैं पंजाब और किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए किसी भी स्थिति का त्याग करने के लिए तैयार हूं.

वो यह नहीं चाहते हैं कि किसानों का एक समूह उनकी निष्ठा पर शक करे, क्योंकि अगर इस तरह की स्थिति बन रही है तो उनके लिए स्वतंत्र तौर पर सोचना संभव नहीं हो पाएगा.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जिरह के दौरान कमेटी की संरचना पर सवाल उठाए गए थे. लेकिन सीजेआई ने स्पष्ट कर दिया कि वो अलग अलग विचारों की मांग नहीं कर रहे हैं, अदालत का मत है कि एक ऐसी व्यवस्था बने जिसके जरिए किसानों की परेशानियों का सार्थक नतीजा निकले. इस तरह की टिप्पणी के बात समिति गठन का फैसला लिया गया. लेकिन इस फैसले का किसान संगठनों ने विरोध किया.

किसान संगंठनों का कहना है कि जिन लोगों को समिति में शामिल किया गया है उनका पहले से ही कानून के प्रति एकपक्षीय नजरिया रहा है, ऐसे में किसी सार्थन नतीजे की उम्मीद करना बेमानी होगी.

उन लोगों का मत है कि कमेटी के गठन में विरोधी भावनाओं को जगह मिलनी चाहिए थी. जो सदस्य पहले ही कृषि कानूनों को बेहतर बता चुके हैं वो किसानों के नजरिए कहां सोचेंगे और उसका किसी तरह से फायदा भी नहीं मिलेगा.

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