अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव खासतौर से योगी सरकार के लिए नाक का सवाल बना हुए है, क्योंकि इस बार भाजपा ने जिस आक्रामक ढंग से पंचायत चुनाव लड़ा था नतीजे उसके अनुरूप नहीं आए थे.
गौरतलब है कि बीजेपी से ज्यादा निर्दलीय जीते थे और भाजपा तीसरे नंबर पर सपा के बाद चली गई थी. ‘पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने पर ही योगी सरकार डेढ़ महीने तक खूब उथल-पुथल मचा रहा, योगी सरकार के कई मंत्रियों में आपसी तनातनी भी देखी गई’.
भाजपा केंद्रीय नेतृत्व भी योगी सरकार से ‘खुश’ नहीं था. लेकिन हाईकमान की ओर से दावा किया जा रहा है कि सब कुछ ठीक है. बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले यह जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव जितना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए महत्वपूर्ण है उतना ही केंद्रीय नेतृत्व के लिए भी हैं. अगर इन चुनावों में भाजपा के पक्ष में परिणाम नहीं आते हैं तो योगी सरकार पर एक बार फिर ‘सवाल’ उठेंगे.
यूपी के करीब-करीब सभी सीटों पर बीजेपी और सपा ने अपने-अपने कैंडिडेट उतारे हैं और दोनों दल के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा भी कर रहे हैं. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी को कड़ा मुकाबला देना चाहती है. सपा ने भी 50 सीटें जीतने का टारगेट बनाया है. विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और सपा इस चुनाव को लेकर काफी गंभीर हैं और किसी भी तरह की कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.
अब इंतजार 3 जुलाई का है, जब पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वोट डाले जाएंगे और नतीजे भी उसी दिन घोषित हो जाएंगे. आज से आठ दिनों तक उत्तर प्रदेश की सियासत में इन चुनाव को लेकर खूब उठापटक देखने को मिलेगी.