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आरबीआई ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, ईएमआई में राहत नहीं

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

शक्रवार (09 अक्टूबर) को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास मौद्रिक नीति कमिटी के नीतिगत फैसले की घोषणा की. ब्याज दरों को यथावत रखा गया है. इससे ईएमआई चुकाने वालों को किसी तरह की राहत नहीं मिली.

आरबीआई के एमपीसी ने बुधवार को अपने तीन दिवसीय विचार-विमर्श शुरू किया था. नए एमपीसी की यह पहली बैठक हुई जिसमें तीन प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों – जयंत वर्मा, आशिमा गोयल और शशांक भिडे की नियुक्ति के बाद बनाई गई थी. छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक पहले 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक होनी थी. लेकिन स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति में देरी होने से बैठक की तारीख बढ़ाई गई. एमपीसी में चार का कोरम होना जरूरी है.

शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आरबीआई ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 4% पर बरकरार रखा. उन्होंने कहा कि आरबीआई आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए उदार रुख को बनाए रखेगा.

नरम रुख से कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यववस्था को गति देने के लिए जरूरत पड़ने पर नीतिगत दरों में कटौती की जा सकती है. उन्होंने कहा कि नीतिगत दर रेपो को 4% पर बरकरार रखा जा रहा है. रिवर्स रेपो दर 3.35% पर बनी रहेगी.

दास ने कहा कि मैद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर को यथावत रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए उदार रुख बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया. उन्होंने कहा कि पहली छमाही में जो पुनरूद्धार देखने को मिला है, वह दूसरी छमाही में और मजबूत होगा.

तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियां तेज होने की उम्मीद है. दास ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट पर विराम लगेगा और चौथी तिमाही में यह सकारात्मक दायरे में पहुंच जाएगी.

गवर्नर ने कहा कि एमपीसी ने नॉर्मल रूख कायम रखा. सभी सेक्टर में ग्रोथ सुधर रही है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरबीआई आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए उदार रुख बनाए रखेगा.

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारतीय अर्थव्यवस्था निणार्यक चरण में प्रवेश कर रही है. दास ने का कि अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में आई गिरावट पीछे छूट चुकी है, स्थिति में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं.

दास ने कहा कि अंकुश लगाने के बजाय अब अर्थव्यवस्था को उबारने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य के दायरे में आ जाने का अनुमान है. जीडीपी चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक संकुचन के रास्ते से हटकर फिर से वृद्धि के रास्ते पर आ सकती है.

वित्त वर्ष की पहली छमाही के धीमे सुधार को दूसरी छमाही में मिल सकती है गति, तीसरी तिमाही से आर्थिक गतिविधियां बढ़ने लगेंगी. शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी दर में 9.5 प्रतिशत निगेटिव में गिरावट आ सकती है

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक तंत्र में संतोषजनक तरलता की स्थिति बनाये रखेगा. अगले सप्ताह खुले बाजार परिचालन के तहत 20,000 करोड़ रुपये जारी किये जाएंगे. मुद्रास्फीति में आया मौजूदा उभार अस्थाई, कृषि परिदृश्य दिख रहा उज्ज्वल, कच्चा तेल की कीमतें दायरे में रहने की उम्मीद है. तुंरत कोष अंतरण के लिए आरटीजीएस व्यवस्था दिसंबर से 24 घंटे काम करेगी.

एक्सपर्ट्स ने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर में बढ़ोतरी की वजह से नीतिगत दर में कमी नहीं करेगा. गौर हो कि आरबीआई की मौद्रिक नीति कमिटी ने अगस्त में हुई पिछली बैठक में नीतिगत दर में बदलाव नहीं किया था.

हालांकि उससे पहले फरवरी के बाद से आरबीआई नीतिगत दर में 1.15 अंक की कटौती कर चुका है. वर्तमान रेपो रेट 4%, रिवर्स रेपो रेट 3.35% है. रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली एमपीसी को 31 मार्च 2021 तक सालाना महंगाई दर को 4% पर रखने का काम दिया गया है. यह अधिक से अधिक 6% तक और कम से कम 2% तक जा सकती है.



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