योग गुरु बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने रामदेव और इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) के बीच चल रहे विवाद में नया मोड़ ला दिया है. उन्होंने एक ट्वीट कर इस पूरे मामले को ईसाई धर्मांतरण के षड्यंत्र से जोड़कर बवाल खड़ा कर दिया है.
मंगलवार को बालकृष्ण ने ट्वीट कर लिखा कि सारे देश को ईसाई धर्म मे तब्दील करने के षड्यंत्र के तहत बाबा रामदेव को टारगेट किया जा रहा है और योग तथा आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है.
इसके बाद मंगलवार को बालकृष्ण ने अपने एक बयान में कहा कि बाबा रामदेव कोई उपहास नहीं उड़ा रहे थे बल्कि वह सिर्फ मॉडर्न मेडिसिन लेने के बावजूद डॉक्टर्स की मौत पर दुख जता रहे थे. आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जितने भी वैज्ञानिक हैं, उनका पतंजलि में स्वगात है. उन्होंने कहा कि हमारे पास लाखों मरीजों का डेटा है जो कोरोनिल लेकर ठीक हुए हैं. हालांकि ट्वीट वाले मामले पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
हालांकि, बालकृष्ण के ट्वीट पर बवाल मच गया है. कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने आचार्य बालकृष्ण की भारतीय नागरिकता पर ही सवाल उठा दिया और उन्हें भारत के निजी मामलों में हस्तक्षेप न करने की हिदायत दे डाली. इसके अलावा गरिमा ने कहा कि जिस तरह से आचार्य बालकृष्ण ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है, उससे यह साफ प्रतीत होता है कि पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण मानसिक दिवालिया हो चुके हैं.
वहीं, उत्तराखंड आईएमए के प्रदेश सचिव डॉ. अमित खन्ना से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव की कोरोनिल नहीं बिक पा रही है, इस वजह से बौखलाहट में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण इस तरह के बिना सर पैर के बयान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस महामारी के समय ऐसे बयान देने पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पर महामारी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए.